November 25, 2024

अब कालोनी काटकर बिल्डर अब भूखंड की लोकेशन नहीं बदल सकेंगे

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भोपाल

राजस्व विभाग प्रदेश में जल्द ही ऐसी व्यवस्था लागू करने वाला है कि शहरी क्षेत्रों में कालोनी काटकर प्लाट बेचने वाले बिल्डर, भूमाफिया भूखंड की लोकेशन नहीं बदल सकेंगे। जिस लोकेशन की भूमि बेचने का सौदा वे खरीददार से करेंगे, उसी लोकेशन की भूमि उन्हें बेचना पडेÞगी और उसका कब्जा देना होगा। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और आबादी भूमि के मामले में भी होगी और जमीन खिसकाने का काम करने वाले माफिया पर नकेल कसने का यह काम सीओआरएस  (कंटीनुअस ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशंस ) करेगा।

इस सीओआरएस का प्रयोग प्रदेश में जल्द ही एक्यूरेट लैंड मेजरमेंट के लिए लागू किया जाने वाला है जिसे मिलने वाली जानकारी भूमि का नक्शा बनाने में सर्वाधिक उपयोगी है। इसके लागू होने के बाद नक्शे बनाने में मामूली अंतर (50 एमएम) रह जाता है और जमीन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होती है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में सीओआरएस में लगाने का काम चल रहा है और इसके जरिये पटवारियों द्वारा की जाने वाली जरीब की माप से होने वाली त्रुटि को रोकने में मदद मिलेगी। अभी पटवारियों और माफिया की मिलीभगत से जमीन की लोकेशन बदलने का काम हो जाता है जिसे रोकने और फ्राड की स्थिति कम करने में मदद मिलेगी।

ऐसे काम करेगा सीओआरएस
सीओआरएस की रेंज 70 किमी की दूरी में दसों दिशाओं में होती है। इसकी क्वालिटी यह है कि यह सेटेलाइट से सीधा जुड़ता है और सेटेलाइट के जरिये 70 किमी की सीमा में दर्ज नदी, तालाब, मकान, कृषि भूमि समेत अन्य सभी जानकारियां पढ़ सकता है और बता सकता है। इसे नक्शा बनाते समय मोबाइल से भी कनेक्ट करने की सुविधा है। ऐसे में जब कोई व्यक्ति अपनी भूमि का नक्शा बनाएगा तो राजस्व विभाग के सीओआरएस सिस्टम से एक्युरेट नक्शा बनेगा। उसमें एक फीट का भी फर्क नहीं होगा। हर 70 किमी की दूरी में सरकारी भवनों के परिसर में यह सीओआरएस लगाने का काम चल रहा है।

ऐसे रोकेंगे प्लाट की लोकेशन बदलने का खेल
अभी अक्सर यह शिकायतें आती हैं कि बिल्डर या जमीन के मालिक ने जमीन बेचते समय जो लोकेशन बताई थी, वह कब्जा सौंपते समय बदल दी गई और इसको लेकर विवाद की स्थिति बनती है। राजस्व विभाग की सीओआरएस मैपिंग और इससे तैयार होने वाले नक्शों को न सिर्फ राजस्व विभाग के रिकार्ड में वेबजीआईएस के जरिये रखा जाएगा बल्कि यह सीधे तौर पर टीएनसीपी, पंजीयन विभाग से भी इंटीग्रेट होगा। ऐसे में खरीददार को जो लोकेशन बताई जाएगी वह रजिस्ट्री में दर्ज होते ही राजस्व रिकार्ड और टीएनसीपी के डेटा में अपने आप दर्ज हो जाएगी और फिर बिल्डर या जमीन बेचने वाले माफिया जो प्लाट लोकेशन बताएंगे, उसका ही कब्जा उन्हें देना होगा।

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