जस्टिस धूलिया ने हिजाब बैन को माना गलत, कहा- यह पसंद का मामला; और भी तर्क दिए
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब विवाद पर फैसला नहीं हो सका। दो जजों की बेंच ने इस मामले पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है। इसके बाद इस केस को तीन जजों की पीठ में सुनवाई के लिए भेज दिया गया है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपने फैसले में कर्नाटक सरकार द्वारा स्कूल-कॉलेजों में लगाए गए हिजाब बैन को सही ठहराया है। वहीं, जस्टिस धूलिया ने अपने सीनियर जज से इतर राय जाहिर की। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना या नहीं पहनना, यह मुस्लिम लड़कियों की पसंद का मामला है और इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कर्नाटक सरकार की ओर से शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर रोक के फैसले को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि छात्राओं की पढ़ाई उनके लिए अहम है। हिजाब पर बैन जैसे मुद्दे से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। गौरतलब है कि हिजाब बैन के खिलाफ अपील करने वाले पक्ष की ओर से भी दलील दी गई थी कि यह महिला अधिकार से जुड़ा मामला है, इसे कुरान या इस्लाम से नहीं जोड़ना चाहिए।
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि फैसला लेते समय उन्होंने खासकर ग्रामीण इलाकों में रह रही बालिकाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा, ''मेरे मन में बालिकाओं की शिक्षा को लेकर बड़ा सवाल था। क्या हम उसके जीवन को बेहतर बना रहे हैं?'' जस्टिस धूलिया ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने निर्णय में अनिवार्य धार्मिक प्रथा की अवधारणा पर मुख्य रूप से जोर दिया, जो विवाद का मूल नहीं है।
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, ''हिजाब को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया। यह अंततः पसंद और अनुच्छेद 14 और 19 का मामला है।'' न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं स्वीकार की हैं।