यूपी में अब स्वाइन फ्लू मरीज डेंगू से भी संक्रमित, निमोनिया से एक लंग्स खराब
कानपुर
कानपुर में हैलट के मैटरनिटी विंग में भर्ती रामादेवी की स्वाइन फ्लू मरीज 57 वर्षीय चित्ररेखा सिंह को डेंगू भी हो गया है। बुधवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने रिपोर्ट में डेंगू संक्रमण की पुष्टि की है। शहर में पहली बार किसी मरीज में स्वाइन फ्लू के साथ डेंगू संक्रमण मिला है। यह रेयर आफ रेयरेस्ट की श्रेणी में केस दर्ज किया गया है।
रामादेवी के टौरस हॉस्पिटल में मंगला विहार -1 की रहने वाली चित्ररेखा को दो दिन पहले ही हैलट में भर्ती किया गया था। उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। एक लंग्स उसका काम नहीं कर रहा है। लगातार आक्सीजन लेवल गिर रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 80 फीसदी आक्सीजन फ्लो पर उनका आक्सीजन 92 हो पा रहा है। मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि ने बताया कि महिला मरीज की हालत बेहद गंभीर है। फेफड़ों में संक्रमण है और उन्हें निमोनिया भी हो गया है। डॉ.आरके वर्मा के साथ डॉक्टरों का पैनल देख रहा है। मरीज के साथ स्टाफ को आइसोलेट कर इलाज करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वाइन फ्लू का वायरस हर साल बदलेगा चेहरा, रहें अलर्ट
शहर में स्वाइन फ्लू के केस मिलने से खलबली मच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बाद बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज और हैलट अस्पताल का जायजा लिया। विशेषज्ञों ने कहा कि वायरस हर साल म्यूटेट होकर नया रूप लेकर हमला कर सकता है, इसलिए अलर्ट रहें। डॉक्टर सतर्क होकर इलाज करें। संक्रामक रोग अस्पताल क्यों सौंपेंगे टीम ने संक्रामक रोग अस्पताल को एलपीएस कार्डियोलाजी को सौंपने पर भी ऐतराज जताया। राज्य सरकार से बात कर प्रस्ताव बदलने का भरोसा दिया। कहा कि बीमारियां नई-नई चुनौतियां दे रही हैं इसलिए कानपुर में हाईटेक संक्रामक रोग अस्पताल की अब जरूरत है।
डब्ल्यूएचओ के उपरीजनल टीम लीडर डा. अजय पवार और उनके सहयोगी स्वाइन फ्लू से मेडिकल छात्रा की मौत के बाद बुधवार सुबह मेडिकल कालेज पहुंचे और उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि, डा. सौरभ अग्रवाल, डा. आरके वर्मा संग बैठक की। छात्रा की रिपोर्ट देखीं, स्वाइन फ्लू फैलने के कारण जाने। पूछा कि संक्रामक बीमारियों का इलाज कहां किया जाता है? बताया गया कि गंभीर मरीजों को हैलट इमरजेंसी और मैटरनिटी विंग में एडमिट किया जा रहा है। संक्रामक रोग अस्पताल में भी किया जाता है लेकिन आगे समस्या होगी क्योंकि आईडीएच को कार्डियोलॉजी को सौंपा जा रहा है। विशेषज्ञों ने कहा कि कानपुर में आईडीएच जरूरी है।