देश नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ने यूएनजीए में रूस के खिलाफ वोटिंग की
नई दिल्ली
रूस और यूक्रेन का युद्ध लगातार जारी है. हाल ही में रूस ने यूक्रेन में इस जंग का सबसे घातक मिसाइल अटैक किया, जिसमें कई आम नागरिकों की भी मौत हो गई. वर्तमान की हालात देखते हुए लगता है कि जंग अभी नहीं रुकने जा रही है. इसी बीच यूएनजीए (यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली) में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. यह प्रस्ताव रूस के यूक्रेन के 4 क्षेत्रों पर अवैध तरह से कब्जे के खिलाफ लाया गया था. खास बात है कि इस प्रस्ताव के लिए हुई वोटिंग के दौरान भारत के पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और बांग्लादेश का रुख भारत से बिल्कुल अलग रहा. साउथ एशिया के अधिकतर देशों ने रूस के खिलाफ वोटिंग की. इनमें अफगानिस्तान और म्यांमार का नाम भी शामिल रहा.
दरअसल, रूस से अच्छे संबंध रखने वाले भारत ने अंतराष्ट्रीय मंच पर रूस के खिलाफ ना जाने की हमेशा कोशिश की और इसी वजह से वोटिंग से भी भारत बचता रहा है. इस बार भी भारत ने यूएनजीए में इस प्रस्ताव के लिए हुई वोटिंग से दूरी बना ली. जबकि भारत के पड़ोसी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ने निंदा प्रस्ताव में रूस के खिलाफ वोटिंग की है.
इन देशों ने दिया रूस का साथ
यूएनजीए की बैठक में 'टेरिटोरियल इंटीग्रिटी ऑफ यूक्रेन' के नाम से लाए गए इस प्रस्ताव के लिए 143 देशों ने वोटिंग की. इनमें नॉर्थ कोरिया, सीरिया, निकारगुआ और बेलारूस ही बस चार ऐसे देश थे, जिन्होंने रूस के पक्ष में वोट किया. बाकी सभी देशों ने निंदा प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया. दूसरी ओर, 35 देशों ने प्रस्ताव के लिए मतदान से दूरी बनाई, जिसमें भारत समेत चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका और क्यूबा जैसे देश भी शामिल हैं.
रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव में कहा गया कि रूस ने अंतराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है. साथ ही प्रस्ताव में कहा गया कि यूक्रेन की सभी सीमाओं से रूस अपनी सभी सेना को तुंरत वापस बुलाए.
हालांकि, रूस ने अंतराष्ट्रीय मंच पर दावा किया कि यूक्रेन के डोनेत्स्क, खेरसान, लुहांस्क और जेपोरीजिया क्षेत्र में उसने जनमत संग्रह कराया है. रूस ने दावा किया कि वहां के लोग रूस के साथ आना चाहते हैं. रूस के इस दावे को पश्चिमी देशों ने नहीं माना, जिसके बाद यूएनजीए की बैठक में निंदा प्रस्ताव लाया गया.
मतदान से दूर रहकर भारत क्या बोला
निंदा प्रस्ताव में मतदान से दूरी बनाने के बाद यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यूक्रेन में तनाव बढ़ने और उसमें आम नागरिकों की मौत को लेकर भारत चिंतित है. रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत ने हमेशा इस बात का पक्ष रखा है कि आम लोगों की कीमत पर कभी समाधान नहीं निकलता है. युद्ध और हिंसा किसी के हित में नहीं है. हम अपील करते हैं कि क्षेत्र में शांति स्थापित करते हुए वार्ता और कूटनीति से समाधान निकाला जाए.
भारत की प्रतिनिधि ने आगे कहा कि मतभेद और झगड़ों को निपटाने का बातचीत ही सिर्फ एक रास्ता है. भारत की प्रतिनिधि ने आगे कहा कि हम आशा करते हैं कि तुरंत सीजफायर और तनाव के समाधान के लिए जल्द ही शांति वार्ता शुरू की जाए. युद्ध को रोकने के लिए भारत हर तरह से समर्थन के लिए तैयार है.
वहीं, भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के पिछले महीने यूएन असेंबली में दिए बयान का हवाला देते हुए कहा कि भारत की प्रतिनिधि ने कहा कि वोट न देने का हमारा फैसला, भारत की स्थिति के अनुरूप है. बता दें कि पिछले महीने में असेंबली में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत इस मामले में शांति के पक्ष में है और उसी पर कायम रहेगा.
भारतीय प्रतिनिधि कंबोज ने यूएनजीए में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का भी जिक्र किया. इस बयान में पीएम मोदी ने कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है. कंबोज ने आगे कहा कि भारत ने बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान के समर्थन में ही यूएनजीए में निंदा प्रस्ताव में मतदान से दूरी बनाई.
आपको बता दें कि अभी तक अंतराष्ट्रीय मंच पर भारत ने सिर्फ दो बार ही रूस के खिलाफ मतदान किया है और दोनों ही प्रक्रियात्मक मतदान (प्रोसीजरल वोटिंग) थे.
प्रस्ताव के बाद क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन
दूसरी ओर, यूएनजीए में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को लाने के लिए खासतौर पर अमेरिका समेत यूरोपीय देशों ने पैरवी की थी. इस प्रस्ताव के जरिए यह बताना था कि दुनिया इस जंग में यूक्रेन के साथ है और रूस के यूक्रेन में घुसकर अवैध कब्जे को खारिज करती है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने निंदा प्रस्ताव के पारित होने के बाद कहा कि रूस के खिलाफ मतदान करने वाले दुनिया के 143 देश स्वतंत्रता, संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हैं. जो बाइडन ने कहा कि दुनिया ने साफ संदेश दे दिया है कि रूस एक संप्रभु देश को विश्व के मानचित्र से नहीं मिटा सकता है.
बाइडन ने आगे कहा कि ताकत के साथ रूस अपनी सीमा नहीं बदल सकता है और ना ही किसी दूसरे के क्षेत्र को अपना बता सकता है. जो बाइडन ने आगे कहा कि अमेरिका दूसरे की जमीन पर अवैध कब्जे को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा.