मुलायम हो सके तो फिर से आ जाना…, सैफई की उदास गलियों गूंज रहे कुलकुला ढोलक मास्टर के गाने
इटावा
एक दशक से अधिक समय से ढोलक बजाकर समाजवादी गीतों के जरिए चुनाव प्रचार से लेकर बड़ी रैलियों तक सैफई महोत्सव से लेकर तेज प्रताप यादव की शादी तक में गीत गाने वाले कुलकुला ढोलक मास्टर नेताजी की फोटो को छाती से लगाए घूम रहे है। सैफई की गलियों में घूम घूम कर वह गुनगुना रहे थे कि जनता है परेशान हो सके मुलायम तो फिर से आ जाना… यह सिर्फ कुलकुला का भाव नहीं सैफई के हर नौजवान, बुजुर्ग, महिला और बच्चे का भाव है जो कहता है कि नेताजी का वापस आना जरूरी है क्योंकि उनके बिना सैफई अनाथ है। इस भाव को सैफई की हर गली, हर बच्चे ने महसूस किया। पिछले दो दिन से सैफई के घरों में चूल्हा न जलना इसकी बानगी कह रहा है। हर गली उदास है और हर चेहरे पर मायूसी है। कुछ ऐसा ही हाल अन्य लोगों का भी है।
बुधवार को 2200 किलोमीटर का सफर करके तमिलनाडु से कार्यकर्ता सैफई पहुंचे थे। दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी कार्यकर्ता मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। हालांकि लोग अब भी इस बात का मलाल कर रहे हैं कि वह अपने नेता का अंतिम दर्शन नहीं कर सके लेकिन वह परिवार के सदस्यों के साथ इस दुख की घड़ी में खड़े हैं। सैफई परिवार सिर्फ राजनीति में नहीं बल्कि देशभर में एक संयुक्त परिवार के तौर पर भी जाना जाता है। परिवार के सदस्यों का राजनीति में बड़ा रुतबा है इसीलिए बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक कई दिनों से सैफई में जुटे हैं।
2200 किलोमीटर दूर से श्रद्धांजलि देने पहुंचे
तमिलनाडु यादव सभा के अध्यक्ष और सपा कार्यकर्त्ता सेल्वम यादव ने बताया कि जैसे ही उन्हें टीवी से पता चला कि नेता जी नहीं रहे तो फिर बिना देर किए अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ सैफई की ओर निकल पड़े, हालांकि 22 किलोमीटर के सफर में उन्हें 15 घंटे से अधिक का समय लगा। बुधवार सुबह यहां पहुंच गए उनके साथ आयें कम्मल कन्नन यादव व शैलमन यादव एडवोकेट ने बताया कि उन्होंने 15 घंटे का सफर तय किया है।