गृह मंत्री ब्रेवरमैन के बयान के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार की संभावना कम
नई दिल्ली
ब्रिटेन की गृह मंत्री का भारतीय प्रवासियों के खिलाफ दिए गए एक बयान की वजह से ब्रिटेन मुश्किल में फंस गया है. सुएला ब्रेवरमैन के बयान के बाद से ही भारत सख्त रुख अख्तियार कर रहा है. ब्रेवरमैन ने कहा था कि मुक्त व्यापार समझौते से ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाएगी. इसके बाद भारत ने जवाब देते हुए कहा था कि भविष्य में कोई भी डील दोनों तरफ के लाभों को देखते हुए ही की जाएगी. ब्रिटेन के अखबार द टाइम्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सुएला ब्रेवरमैन के इस बयान से भारत हैरान और निराश है. इस बयान के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता होने की संभावना कम होती जा रही है.
डील अटकने की संभावना
द टाइम्स के मुताबिक, ब्रिटेन के अधिकारियों ने बताया कि सुएला के इस बयान के बाद भारत सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों में काफी गुस्सा है. गृहमंत्री के इस बयान से भारत हैरान और निराश है. भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि ब्रेवरमैन की टिप्पणियों के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्ते एक कदम पीछे चले गए हैं. भारत अभी भी ब्रिटेन को लेकर पॉजिटिव है, लेकिन ब्रिटेन सरकार में अगर इस तरह के लोग अभी भी बने रहते हैं तो यह बातचीत बीच में अटक सकती है. भारत ने कहा है कि अगर ब्रिटेन चाहता है कि इस डील में किसी तरह की बाधा न आए तो प्रधानमंत्री ट्रस को गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन के बयान से खुद को अलग कर लेना चाहिए.
भारत ने मांगे आधा अरब पाउंड ( लगभग 45 अरब भारतीय रुपये )
ट्रेड डील से वाकिफ लोगों का कहना है कि भारत ब्रिटेन से आधा अरब पाउंड वापस लेने की मांग कर रहा है. यह राशि भारतीय कामगारों ने ब्रिटेन की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के लिए भुगतान किया है.
ब्रिटेन की डगमगाती अर्थव्यवस्था के लिए अहम है डील
यूरोप में मंदी की आहट के बीच ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लीज ट्रस इस डील की मदद से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में जान फूंकना चाहती हैं. अगर यह डील किसी भी कारण से अटकती है तो लीज ट्रस के लिए बड़ा झटका होगा. भारत का कड़ा रुख ट्रस को रियायतों की पेशकश करने के लिए मजबूर कर सकता है, क्योंकि ब्रेक्जिट से निकलने के बाद बड़े ट्रेड डील करने का दबाव पहले से ही अधिक है. ट्रस के अधिकारिक प्रवक्ता मैक्स ब्लेन ने कहा कि सरकार अभी भी डील पूरी होने की उम्मीद कर रही है. इस डील के बाद भारत के लिए ब्रिटेन सबसे बड़ा आयातक देश होगा. इस समझौते से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2035 तक 3 बिलियन पाउंड होने की उम्मीद है.
मुक्त व्यापार समझौता से भारत को क्या मिलेगा?
किसी भी व्यापार समझौते में भारतीय छात्रों और कामगारों की सुविधाएं हमेशा से भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है. भारत इस ट्रेड डील के बदले अपने नागरिकों के लिए ज्यादा वर्क वीजा और स्टडी वीजा की मांग कर रहा है. भारत ने अलग वीजा की भी मांग की है, जिससे 35 साल से कम उम्र के लोग तीन साल के लिए ब्रिटेन में रह सकते हैं. अगर यह सौदा हो जाता है तो यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौता होगा. इस डील की मदद से 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने की उम्मीद है. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारत और ब्रिटेन के बीच 2021-22 में कुल व्यापार 17 अरब डॉलर से अधिक था.
जनवरी से जारी है बातचीत
भारत और ब्रिटेन ने जनवरी में इस मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की थी. अप्रैल में भारत दौरे पर आए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह एफटीए करार के बदले में भारत के लिए अधिक वीजा की पेशकश करने की तैयार हैं. यह समझौता अक्टूबर तक हो जाना चाहिए था. लेकिन ब्रिटेन सरकार के एक सूत्रों के मुताबिक, अभी तक मात्र 40 फीसदी ही काम हुआ है.
क्या कहा था गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने
ब्रिटिश मैगजीन द स्पेक्टेटर को दिए एक इंटरव्यू में ब्रेवरमैन ने कहा था कि भारतीय प्रवासी वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी इस देश में रह रहे हैं. भारतीयों के लिए ब्रिटेन की सीमा खोलने वाली इस नीति से ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाएगी.