September 28, 2024

मप्र से शुरू हुआ एमबीबीएस का हिन्दी पाठ्यक्रम, शाह ने मेडिकल की तीन पाठ्यपुस्तकों का विमोचन

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भोपाल

मेडिकल पढ़ाई में हिन्दी युग की शुरुआत आज से हो गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी में तैयार की गई पाठ्य पुस्तकों का विमोचन करने के साथ इसकी शुरुआत की। इसके साथ ही प्रदेश में हिन्दी में मेडिकल पढ़ाई के लिए अंग्रेजी में कमजोर स्टूडेंट्स को भी डॉक्टर बनने के मौके मिलने का शुभारंभ हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने भोपाल में लाल परेड मैदान में हजारों स्टूडेंट्स की मौजूदगी में मेडिकल क्षेत्र में इस नई सुविधा का शुभारंभ किया। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अब हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू कराने वाला एमपी पहला राज्य बन गया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह समेत चिकित्सा विशेषक्षों की मौजूदगी में इसकी शुरुआत की गई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा जो प्रतिभाशाली होने के बाद भी केवल अंग्रेजी का ज्ञान न होने के कारण कुंठित होते थे, प्रतिभा को प्रकट नहीं कर पाते थे। हिंदी भाषी राज्यों का इतना बड़ा क्षेत्र है, डॉक्टर वहां रह सकते हैं। वे बाद में चाहें तो अंग्रेजी सीख सकते हैं लेकिन पढ़ने के लिए अंग्रेजी चाहिए। अंग्रेजी के गुलाम हम क्यों बनें ? कई तो ऐसे बच्चे थे जिनका मेडिकल कॉलेज में एडमिशन तो हो गया, लेकिन अंग्रेजी के मकड़जाल के कारण पढ़ाई छोड़ देते थे और वह गरीबों के बच्चे, जिन्हें अंग्रेजी माध्यम में पढ़ना नसीब नहीं हुआ है।

दूसरे राज्यों को भी देंगे किताबें:सीएम शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमने जो किताबें तैयार की हैं उसे दूसरे राज्यों में भी शेयर करेंगे। मैं मुख्यमंत्रियों को भेंट भी करूंगा। हम शिक्षा को अंग्रेजी की गुलामी से पूरी तरह से मुक्त करेंगे। जिन्हें पढ़ना है पढ़ें, लेकिन बाध्यता किसी तरह की नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक की शिक्षा भी हिंदी में होगी। इस साल 6 इंजीनियरिंग कॉलेज और 6 पॉलिटेक्निक कॉलेज में हिंदी में पढ़ाई प्रारंभ होगी। हमारा सपना तो यह है कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश में आईआईटी और आईआईएम में हिंदी में पढ़ाई हो। प्रदेश के लाखों बच्चे जो प्राथमिक कक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम से नहीं पढ़े, उनकी जिंदगी में एक नया सवेरा हो रहा है।

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