तीसरी बार ताजपोशी से पहले शी जिनपिंग का दुनिया को संदेश! हाइपरसोनिक परमाणु बमों की होगी तैनाती
चीन
चीन में आज से कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस का 20वां अधिवेशन शुरू हो रहा है, जिसमें शी जिनपिंग के हाथों में तीसरी बार चीन की सत्ता सौंपी जाएगी। माना जा रहा है, कि शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल दुनिया के लिए काफी तनावपूर्ण होने वाला है, क्योंकि शी जिनपिंग अपने तीसरे कार्यकाल में ताइवान का चीन की मुख्य भूमि से पुर्नमिलन के मिशन को पूरा करने की कोशिश करेंगे और इसके लिए उन्हें अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करना होगा। इसके साथ ही भारत के साथ भी चीन का रिश्ता और भी गर्म होगा, क्योंकि तीसरी बार सत्ता मिलने के बाद अब शी जिनपिंग को अपनी पार्टी में चुनौती देने वाला भी कोई नहीं होगा। इस बीच खबर है कि, चीन अपने एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर हाइपरसनिक परमाणु मिसाइलों की तैनाती कर सकता है और ये खबर पूरी दुनिया के लिए चिंताजनक है।
कैरियर्स पर हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर जिन फाइटर जेट्स की तैनाती होती है, उन विमानों में अब हाइपरसोनिक परमाणु मिसाइलों की तैनाती की जाएगा। हालांकि, एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर हाइपरसोनिक परमाणु मिसाइलों की तैनाती करना काफी मुश्किल माना जाता है, लेकिन चीन ने सीलेंट टेक्नोलॉजी डेवलप कर ली है, जिसने दुनिया की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच दी है और चीन के डिफेंस को अभेद्य कर दिया है। हाइपरसोनिक न्यूक्लियर मिसाइलों की तैनाती के लिए चीन ने नये सीलेंड टेक्नोलॉजी का विकास किया है, जो समुद्र में चीन की भंडारण क्षमता, हथियारों की मरम्मत और रखरखाव की रक्षा को और तेज करेगा। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस हफ्ते अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, चीन के कैरियर-आधारित हाइपरसोनिक हथियार रूसी किंजल एयर-लॉन्च हाइपरसोनिक मिसाइल की तरह हैं, जिसका पहली बार यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया गया है। इस मिसाइल का इस्तेमाल हवा, सतह और सैटेलाइट लक्ष्यों के खिलाफ किया जा सकता है और 1,000 किलोमीटर की दूरी तक ये मिसाइल आवाजा की स्पीड से 10 गुना ज्यादा स्पीड के साथ हमला कर सकता है। इस महीने चीनी घरेलू समीक्षा पत्रिका एयरो वेपनरी में भी इसका उल्लेख किया गया है।
चीनी नौसेना कितनी मजबूत होगी?
हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती के बाद चीन के कैरियर फ्लीट की स्ट्राइक रेंज 2,500 किलोमीटर से ज्यादा बढ़ जाएगी और इसकी पहुंच ताइवान से गुआम तक की हो जाएगी, जो प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक लेकिन तेजी से कमजोर अमेरिकी चौकी पर एक अति-तेज चीनी मिसाइल हमले के खतरे को बढ़ाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक विमान वाहक पोतों पर हाइपरसोनिक हथियारों को तैनात नहीं किया गया है। चाइना एयरबोर्न मिसाइल एकेडमी के प्रमुख शोधकर्ता जिओ जून और उनकी टीम ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के लेख में बताया कि, हाइपरसोनिक हथियारों को पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में समुद्र में मरम्मत करना काफी कठिन है। उन्होंने कहा कि, हाइपरसोनिक हथियारों का क्रिटिकल एरिया शिल्ड किया हुआ रहता है, जिसके लिए अत्यधिक एडवांस मैटेरियल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल को अत्यधिक ऊंचाई तक जाने और अत्यधिक तापमान में भी काम करने की इजाजत देता है, लिहाजा बीच समुद्र में इसे मरम्मत करना काफी मुश्किल होता है और इन्हें मरम्मत के लिए कंपनी ही लाना पड़ता है।
एयरक्राफ्ट से काम करना काफी मुश्किल
विशेषज्ञों का कहना है कि, एयरक्राफ्ट कैरियर पर हाइपरसोनिक हथियारों का परिवहन, उसका भंडारन और उसका रखरखाव काफी संवेदनशील माना जाता है। इसके अलावा, चीनी रिसर्च टीम ने बताया कि, जब क्षतिग्रस्त हिस्सा समुद्र की नमी, नमक और मोल्ड के संपर्क में आता है, तो नमी अवशोषण, विस्तार, विरूपण, ब्लिस्टरिंग, डिबॉन्डिंग या छीलने से गर्मी प्रतिरोधी कोटिंग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लिहाजा, एयरक्राफ्ट कैरियर पर हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती के लिए अत्यधित सावधानी बरती जाती है और इस हथियार को रखने के लिए ग्राउंड बेस्ट कमरे की जरूरत होती है और इसे संभालने के लिए अनुभवि क्रू मेंबर्स की जरूरत होती है, जिनके पास सोफिस्टिकेटेड उपकरणों का होना जरूरी है, जो इस बात को सुनिश्चित करे, कि हाइपरसोनिक मिसाइल में कोई समस्या नहीं आई है। ऐसे में अब रिसर्च टीम ने नई सीलिंग सामग्री विकसित की है, जिसमें क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाने के लिए सिर्फ एक कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है। लेकिन, अब सीलिंग जेल विकसित होने के बाद खराब हिस्से को हटाकर खाली स्थान में सीलिंग जेल भरकर उसे खुरचनी से तैयार कर एक चिकने सतह को तैयार किया जा सकता है।
हथियारों की तैनाती होती है काफी मुश्किल
चाइना एयरबोर्न मिसाइल अकेडमी के रिसर्चर्स का कहना है कि, फिल्ड टेस्टिंग के दौरान एयरक्राफ्ट कैरियर्स को काफी नुकसान पहुंचता है और एयरक्राफ्ट कैरियर्स को अपने मिशन के दौरान काफी खराब परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, लिहाजा हाइपरसोनिक मिसाइलों को एयरक्राफ्ट कैरियर पर रखना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। लेकिन, अब नई विधि ने पिछले दिनों के मुकाबले दसवें हिस्से तक समय की बर्बादी कम कर दी है। उन्होंने कहा कि, उनकी नई तकनीक हाइपरसोनिक हथियारों के भंडारण के जीवनकाल में सुधार करती है, जिसे चीनी सेना को कम से कम एक दशक तक चलने की आवश्यकता होती है।