भू विस्थापितों ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव, 1 नवंबर को काला दिवस मनाएगी किसान सभा
कोरबा
पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आज हजारों ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव किया। बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदानों में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार तथा पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर घंटाघर से हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने किसान सभा के नेतृत्व में रैली निकाली, जिसे जिला प्रशासन ने कोसाबाड़ी के पास बैरिकेड लगाकर रोक दिया। इससे अक्रोशित भूविस्थापित सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे। भारी बारिश में भी यह प्रदर्शन तीन घंटे से ज्यादा चला, जिससे आवागमन ठप्प हो गया। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। इस बीच बारिश भी हुई लेकिन प्रदर्शनकारी बारिश में भींगते बैठे रहे। प्रदर्शनकारी कलेक्टर से मिलने के लिए अड़े थे, जिसके बाद प्रशासन ने 10 नवम्बर को त्रिपक्षीय वार्ता बुलाने की घोषणा की। इस वार्ता में एसईसीएल के सक्षम अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। इस घेराव के बाद किसान सभा ने 1 नवंबर को काला दिवस मनाने की घोषणा की है।
इस घेराव में नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाई बाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, दादरपारा, सरईपाली, जूनाडीह, विजयनगर, बतारी, बांकी बस्ती, झाबर, जवाली, रोहिणा, चैनपुर, चुरैल सहित 40 से अधिक गांव के भूविस्थापित किसानों ने हिस्सा लिया। ग्रामीणों की लामबंदी के लिए किसान सभा ने न्याय यात्रा भी निकाली थी, जिसने बैठकों, सभाओं और पर्चा वितरण के जरिए ग्रामीणों को एकजुट किया। घेराव का नेतृत्व प्रमुख रूप से माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, शिवदयाल, देव कुंवारी, कांति कंवर, पूर्णिमा महंत, शिवनारायण, जवाहर सिंह, संजय यादव, पुरषोत्तम कंवर, रघु, सुमेन्द्र सिंह, गुलाब, पवन यादव, बसंत चौहान, दीना नाथ, मोहन, अनिल, अमृत बाई आदि कर रहे थे। घेराव में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।