अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कानीर्वाल 2022
रायपुर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय एग्री कानीर्वाल 2022 के दौरान प्रजनन कार्यक्रम के आधुनिकीकरण से अनुवांशिकी की तेज दर पाने पर केन्द्रित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में भारत, युगांडा, जिम्बाम्बे, मेडागास्कर, सेनेगल, इथोपिया, नामीबिया, घाना, माली, सेशेल्स, फिलीपींस, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका आदि देशों के वैज्ञानिकों द्वारा विचार-विमर्श किया गया। इस कार्यशाला में किसानों के खेतों में अनुवांशिकी दर का प्रभाव, बाजार की संभावनाए, अनुवांशिक दर में वृद्धि तथा आनुवांशिक चयन जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई। इस कार्यशाला का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्रों के समूह सी.जी.आई.ए.आर., अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मनीला, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान विस्तार प्रणाली तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किया जा रहा है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने इस अवसर पर कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं एवं बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए मौसम की विषमताओं के प्रति सहनशील एवं अधिक उत्पादन देने वाली धान की नवीन प्रजातियों का विकास किये जाने की आवश्यकता है। डॉ. चंदेल ने धान की नई किस्मों के विकास में लगने वाले समय को कम करने के लिए स्पीड ब्रीडिंग तकनीक पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्पीड ब्रीडिंग तकनीक के द्वारा नवीन प्रजातियों के विकास में लगने वाली अवधि को 14-15 वर्षों से घटाकर 6-7 वर्ष किया जा सकेगा। उन्होंने प्रजनन कार्यक्रम आधुनिकीकरण के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में किये जा रहे अनुसंधान कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि क्रॉप टू एण्ड हंगर परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विगत पांच वर्षों से सी.जी.आई.ए.आर. के साथ मिलकर धान की नवीन प्रजातियों के विकास हेतु अनुसंधान किया जा रहा है। कार्यशाला को सी.जी.आई.ए.आर. के एक्सिीलेंस इन ब्रीडिंग कार्यक्रम के कॉर्डिनेटर डॉ. एस.के. कटियार एवं विभिन्न देशों से आए प्रसिद्ध धान वैज्ञानिकों ने संबोधित किया। उन्होंने अपने-अपने देशों में प्रजनन कार्यक्रम आधुनिकीकरण के तहत किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में किये जा रहे प्रजनन कार्यक्रम का अवलोकन किया। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में 23 हजार से अधिक किस्मों का जननद्रव्य संग्रहीत किया गया है।