November 22, 2024

देश की जेलों में बंद 80 प्रतिशत विचाराधीन कैदियों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत-चीफ जस्टिस

0

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने भारत में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश के 6.10 लाख कैदियों में से लगभग 80 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। उन्होंने यह बात जयपुर में ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज के एक कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना ने शनिवार कहा कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सजा है। भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी से लेकर जमानत पाने तक और विचाराधीन बंदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि बिना किसी मुकदमे के लंबे समय से जेल में बंद कैदियों की संख्या पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने कहा कि लक्ष्य विचाराधीन कैदियों की जल्द रिहाई को सक्षम करने तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा इसके बजाय, हमें उन प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना चाहिए जो बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लंबे समय तक कैद की ओर ले जाती हैं।

वहीं इसी कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि चिंता की बात यह है कि आज देश भर की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इन मामलों को कम करने के लिए सरकार और न्यायपालिका को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कल मैनें अपने डिपार्टमेंट के ऑफिसर से बात की है कि कुछ ऐसा ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे हम 2 करोड़ केस को 2 साल में खत्म कर सकें। मैं कहीं भी जाता हूं तो पहला सवाल मेरे सामने यही आता है कि सरकार पेंडिंग केस को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *