अदालतों का समय जल्द करने से नहीं घटेगा मुकदमों का बोझ, कोर्ट में 7 करोड़ मामले लंबित
नई दिल्ली।
देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस यूयू ललित की कोर्ट को एक घंटा पहले 9:30 बजे चलाने की पहल का देश की अन्य अदालतों में व्यापक असर होने की संभावना है, क्योंकि शीर्ष न्यायपालिका के किसी भी कदम / फैसले का निचली अदालतें अक्षरशः पालन करती हैं। लेकिन, कोर्ट में काम के घंटे थोड़ा पीछे करने से लंबित मुकदमों की संख्या कम होगी, यह कहना मुश्किल है। क्योंकि कोर्ट ने काम के घंटों को पीछे किया है। नेट न्यायिक घंटे उतने ही रहेंगे, जितने पहले थे। जस्टिस यूयू ललित अगले माह 26 अगस्त को देश के मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे। जस्टिस ललित का कार्यकाल तीन माह से कुछ दिन कम का होगा, लेकिन माना जा रहा है इस दौरान वे न्यायपालिका के कामकाज में आमूल चूल बदलाव लाने वाले कदम उठाएंगे।
अभी सुप्रीम कोर्ट में काम शुरू होने का समय 10:30 बजे है। शेष अदालतें जैसे हाईकोर्ट और निचली अदालतें 10:00 बजे काम शुरू करती हैं। हालांकि जस्टिस ललित ने काम का यह घंटा शुक्रवार को आगे किया था, लेकिन उनका कहना है कि यह प्रक्रिया अदालत में सोमवार और शुक्रवार को निश्चित रूप से अपनायी जा सकती है। क्योंकि इन दो दिनों में कोर्ट में ताजा मामले सुनवाई पर आते हैं जिनमें ज्यादा समय नहीं लगता। नियमित मामले जिनमें अपील की अनुमति दी जा चुकी है, मंगल, बुध और गुरुवार को लगते हैं। इनमें लंबी दलीलें होती हैं, इसलिए शेष तीन दिन कोर्ट में कामकाज सामान्य घंटों जैसे 10:30 से 4:00 बजे तक रखा जा सकता है।
बार एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत किया
बार एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत किया है और कहा है कि उन्हें अपने कामकाज करने के समय को व्यवस्थित करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन इससे मुकदमों का बोझ कम होगा, यह कहना सही नहीं होगा, क्योंकि न्यायिक कार्य के कुल घंटे वहीं रहेंगे, जो पहले 10:30 बजे कोर्ट शुरू होने पर रहते थे। इससे लंबित मुकदमों के तेजी से निपटने का कोई संबंध नहीं है। हां, यह जरूर है कि तीन बजे कोर्ट समाप्त होने के बाद वकीलों और जजों को दिन में ज्यादा वक्त मिलेगा।
‘समय में बदलाव ठीक नहीं’
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील रचना श्रीवास्तव ने कहा कि यह समय में बदलाव ठीक नहीं है। क्योंकि स्कूलों का समय सात बजे है। सरकारी दफ्तरों का 9:30 बजे, हाईकोर्ट, निचली अदालतों में समय 10:00 बजे तथा सुप्रीम कोर्ट का 10:30 बजे रखा गया था, जिससे एक साथ सभी लोग न निकलें और सड़क पर ट्रैफिक जाम नहीं हो, लेकिन अब यदि कोर्ट समय बदल देगा तो ट्रैफिक जाम होना तय है।
काम जल्द शुरू करना अच्छी बात : पूर्व जज
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज ने कहा कि काम जल्द शुरू करना अच्छी बात है, लेकिन इसे मुकदमों को लंबन कम होगा ऐसा नहीं है। बल्कि उन्होंने कहा कि इससे मुकदमों की संख्या बढ़ भी सकती है, क्योंकि वकीलों के पास ज्यादा वक्त होगा और वे और केस ड्राफ्ट करेंगे। वहीं आम जनता में इस का संदेश कुछ प्रोत्साहित करने वाला जैसा होगा।
लंबित मुकदमे: सात करोड़ (कानून मंत्री किरण रिजिजू के अनुसार)
निचली अदालतें : 87 फीसदी
हाईकोर्ट : 12 फीसदी
सुप्रीम कोर्ट 1 फीसदी (72,062)
जजों की संख्या (कानून मंत्रालय के अनुसार)
निचली अदालत: 24490 रिक्तियां-5147
हाईकोर्ट: 1108 रिक्तियां-381
सुप्रीम कोर्ट: 34 रिक्तियां-2