Solar Eclipse का प्रभाव, केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट बंद होंगे, 25 अक्टूबर की शाम में होगी पूजा
नई दिल्ली
Solar Eclipse के कारण पूजा पाठ और धार्मिक क्रियाकलापों पर प्रभाव पड़ रहा है। Diwali 2022 के अगले दिन सूर्यग्रहण के इसी प्रभाव के कारण केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट बंद होंगे। दोनों धामों में 25 अक्टूबर की शाम में पूजा-पाठ के बाद आम जनता दर्शन करे सकेगी। बता दें कि केदारनाथ में भगवान शंकर और बद्रीनाथ में भगवान विष्णु की पूजा होती है। दोनों चार धामों में शामिल हैं।
Solar Eclipse के बाद शाम में पूजा
केदारनाथ और बद्रीनाथ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू मंदिरों में से हैं। यह क्षेत्र एक श्रद्धेय सिख तीर्थ स्थल- हेमकुंड साहिब के लिए भी जाना जाता है। मंदिर समिति ने कहा, सूर्य ग्रहण 2022 के कारण श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अक्टूबर (मंगलवार) को बंद रहेंगे। केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (CAO) ने बताया कि ग्रहण के बाद शाम को 'पूजा' की जाएगी।
पीएम मोदी ने दौरा कर जायजा लिया
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (21 अक्टूबर) को बद्रीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। प्रधानमंत्री के साथ मंदिर में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे।
बद्रीनाथ पहुंचने से पहले, पीएम मोदी ने रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम का दौरा किया था। पारंपरिक पहाड़ी पोशाक- 'चोला डोरा' दान में दर्शन-पूजन और प्रार्थना करने वाले प्रधानमंत्री को हिमाचली महिलाओं ने उपहार में चोला डोरा पोशाक दी थी।
लंबे रोपवे से आसान बनेगी यात्रा
उत्तराखंड दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ रोपवे परियोजना की आधारशिला रखने के बाद आदि गुरु शंकराचार्य समाधि स्थल का दौरा भी किया। उन्होंने मंदाकिनी आस्थापथ और सरस्वती आस्थापथ के आसपास विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी की। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, केदारनाथ में रोपवे लगभग 9.7 किमी लंबा होगा। इससे गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच लिंक बनेगा। रोपवे बनने के बाद दोनों स्थानों के बीच यात्रा में महज 30 मिनट लगेंगे। वर्तमान में इन दोनों जगहों के बीच यात्रा करने में 6-7 घंटे का समय लगता है।
इन क्षेत्रों में घंटों में नहीं, मिनटों में तय होगा सफर
इसके अलावा हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किमी लंबा होगा। यात्रा में अभी एक दिन का समय लगता है। ट्रैवल टाइम कम होने के बाद केवल 45 मिनट में गोविंद घाट से हेमकुंड पहुंचा जा सकेगा। पीएमओ के बयान में कहा गया है कि यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है।
हजारों करोड़ रुपये की परियोजना
सभी रोपवे को तैयार करने में लगभग 2,430 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। इसे परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन बताया जा रहा है। दावा है कि रोपवे से परिवहन का एक सुरक्षित, सुरक्षित और स्थिर साधन मिलेगा। इस प्रमुख बुनियादी ढांचा विकास से धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार का मानना है कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने से क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। कनेक्टिविटी परियोजनाओं का उद्देश्य धार्मिक महत्व के स्थानों तक पहुंच को आसान बनाना और बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद
इन इलाकों में एक हजार करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं पर भी मंथन हो रहा है। दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं- माणा से माना दर्रा (एनएच07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक सड़क निर्माण होना है। इससे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा। कनेक्टिविटी बढ़ने पर ये परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी।