November 25, 2024

मरीज की जान सड़क हादसे के बाद कितने घंटे के भीतर इलाज मिलने पर बच सकती

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रांची
वर्ष 2021 में झारखंड की राजधानी रांची में अलग-अलग सड़क हादसों में 448 लोगों की मौत हो गई। वहीं 339 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। जनवरी से दिसंबर तक कुल 644 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। वर्ष 2022 में जनवरी से मार्च तक 156 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। इनमें 119 लोगों की मौत हुई है। 60 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में ज्यादातर 20 से 30 साल के युवा हैं। यह आंकड़ा जारी किया है रांची रोड सेफ्टी सेल ने।

जनजागरूकता से ही संभव है हादासों पर नियंत्रण
रांची के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डा आनंद कुमार झा कहते हैं- जनजागरूकता बहुत जरूरी है। लोगों को यह बताना होगा कि हादसों से कैसे बचा जा सकता है। दोपहिया वाहन चलाने वालों के लिए हेलमेट जरूरी होता है। चालक तो हेलमेट पहनने लगे हैं, लेकिन पीछे बैठने वाले अभी हेलमेट नहीं पहन रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए भी यह जरूरी है। उन्हें यह समझाना होगा। ट्रैफिक नियमों का पालन करना भी बहुत जरूरी है। यदि आप चारपहिया वाहन चला रहे हैं तो सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें।

हादसे के शिकार मरीज को सीधा लिटाकर ले जाएं
डा आनंद कुमार झा कहते हैं- यदि दुर्भाग्य से घटना होती है तो सबसे पहले देखा जाता है कि मरीज की जान बची है या नहीं। पल्स की स्पीड देखनी होती है। मरीज को तुरंत नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए। इसमें कुछ सावधानी बरतनी चाहिए। मरीज को अस्पताल लेकर जाने के वक्त सीधा लिटा कर ही ले जाया जाए। इस बात का ख्याल रखें कि अगर मुंह से खून निकल रहा है या उल्टी हो रही तो उसे थोड़ा करवट दिया जा सकता है। मरीज के लिए छह घंटे का समय बेहद खास होता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके इलाज शुरू कर दिया जाना चाहिए।

ब्रेन, छाती और पेट में चोट सबसे ज्यादा जानलेवा
डा आनंद कुमार झा के अनुसार, सड़क हादसे में सबसे ज्यादा ब्रेन को बचाना मुख्य होता है। ब्रेन में गहरी चोट लगने पर मरील की मौके पर ही मौत हो जाती है। इसके अलावा छाती और पेट का चोट भी घातक होता है। छाती में चोट लगने पर तुरंत सिक्योर करने की जरूरत होती है। पेट में चोट लगने से ब्लड लॉस होने की संभावना ज्यादा होती है।

पहले आप स्वयं सुधरिए, दूसरे लोग भी सुधर जाएंगे
डा आनंद कुमार झा की मानें तो लोगों को कुछ सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। ड्राइविंग के वक्त हेलमेट का इस्तेमाल जरूर करें। हेलमेट को प्रॉपर टाइ करें। ड्राइविंग के वक्त मोबाइल पर कभी बातें न करें। ट्रैफिक रूल को जरूर फॉलो करें। ज्यादातर खुद की गलती से नहीं, बल्कि दूसरों की गलती से हादसे होते हैं। अगर आप सही हैं तो फिर दूसरे भी सही रहेंगे। अगर लोग यह सोच लें कि ट्रैफिक रूल का पालन करेंगे और गाड़ी को सही चलाएंगे तो ऐसी नौबत शायद नहीं आएगी।

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