राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस को चुनावों में जीत दिला सकती है इसमें शक!
नईदिल्ली
गांधी परिवार के वफादार 80 साल के मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए हैं। 'अघोषित ऑफिशियल' कैंडिडेट के सिर पर हाई कमान का हाथ था लिहाजा उनकी जीत से किसी को कोई हैरानी नहीं हुई। 'बाहरी' शशि थरूर ने कुल वैध वोटों में 10 प्रतिशत से अधिक हासिल करके अच्छी चुनौती दी। यह संभवतः बदलाव की एक छोटी सी झलक है। हालांकि, चलेगी तो गांधी परिवार की ही। इस बार परिवार की कोई जवाबदेही भी नहीं रहेगी लेकिन पर्दे के पीछ अदृश्य ताकत उनके ही हाथ में होगी।
शशि थरूर को न चुनकर कांग्रेस जनमानस को पढ़ने में बुरी तरह नाकाम हुई है। 'न्यू इंडिया' युवा, आकांक्षी और लोगों से संवाद वाले नेता को चाहता है। खरगे वरिष्ठ राजनेता हैं लेकिन वह वयोवृद्ध हैं, जीवन के 8 दशक पूरा कर चुके हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ बीत चुका है। ऐसे में खरगे यमुना (या उनके अपने गृहराज्य की गुलबर्गा) में शायद ही कोई लहर ला पाएं।
जहां तक बहुप्रचारित भारत जोड़ो यात्रा की बात है तो यह चुनाव में जीत दिलाएगा, इसमें शक है। यात्रा अच्छी चल रही है और ब्रैंड राहुल गांधी को फिर से स्थापित कर रही है लेकिन कोई राजनीतिक दल तभी पुनर्जीवित हो सकता है जब वह चुनाव जीते। भारत जोड़ो यात्रा तो उन राज्यों को छू तक नहीं रही जहां चुनाव होने हैं यानी हिमाचल प्रदेश और गुजरात। इससे ये संदेश जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा का लक्ष्य चुनाव जीतना नहीं है।
ऐसे में अब कांग्रेस और विपक्ष के लिए आगे क्या रास्ता है? यह कैसे फिर से ताकत जुटा सकेंगे? भारत में विपक्ष भले ही चुनावी दृष्टि से खत्म हो चुका है लेकिन प्रतिभा के मामले में ऐसा नहीं है। विपक्ष के लिए यह एक न्यू आइडिया है- 2024 के चुनाव से पहले शैडो कैबिनेट बनाइए।
शैडो कैबिनेट क्या होता है? ब्रिटेन में यह होता है जहां विपक्षी दल एक समानांतर शैडो कैबिनेट बनाते हैं जिसमें नेताओं को विभागों की जिम्मेदारी दी जाती है। ब्रिटेन की राजनीति आज दुनिया में उपहास का विषय हो सकती है लेकिन शैडो कैबिनेट का उसका आइडिया ऐसा है जिसे दुनिया अपना सकती है। हर शैडो मिनिस्टर रचनात्मक और वैकल्पिक समाधान सुझाता है। यह सरकार पर नजर रखने वाले एक पॉलिसी वॉचडॉग की तरह काम करता है।