November 25, 2024

मेजर मुस्तफा दिन रात मेहनत कर बने थे सेना में अफसर, कुछ दिन बाद थी शादी

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उदयपुर
अरुणाचल प्रदेश के सियांग में शुक्रवार को सेना के हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद उदयपुर के मेजर मुस्तफा जकीउद्दीन बोहरा को सैन्य सम्मान के साथ रविवार रात करीब 10 बजे सुपुर्द—ए—खाक कर दिया गया। इससे पहले शहीद की पार्थिव देह शाम छह बजे सेना के ट्रक में ही लाया गया। मेजर मुस्तफा नौ साल पहले ही दिन रात मेहनत कर एनडीए के माध्यम से सेना में अफसर बने थे।

मां ने अंतिम बार अपने बेटे के चेहरे को देखा तो वह ताबूत से लिपट गईं, जबकि नीचे खड़ी मंगेतर बेसुध हो गई। बेसुध होने से पहले वह इशारों से ही वह अपने पति को अंतिम बार देखने की जिद करती रही लेकिन उनके मुंह से आवाज तक नहीं निकल पाई। बाद में बेटे का चेहरा देखकर ट्रक से नीचे उतरी मां ने उसे संभाला और उससे लिपटकर रोने लगी।

शहीद मुस्तफा अमर रहे के नारों के साथ किया विदा
उदयपुर के डबोक एयरपोर्ट से सैन्य प्रोटोकॉल के तहत शहीर मेजर मुस्तफा का शव खांजीपीर स्थित कब्रिस्तान के लिए रवाना किया गया। एयरपोर्ट पर उदयपुर शहर विधायक एवं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत के साथ शहर और गांवों से उमड़े सैकड़ों लोगों ने शहीद मुस्तफा बोहरा अमर रहे के नारों के साथ विदा किया।

एयरपोर्ट के बाहर मौजूद सेना के जवानों के साथ मेजर मुस्तफा के परिजन और अन्य लोगों ने नम आंखों से शहीद मेजर को विदाई दी। इसके बाद शहीद की अंतिम यात्रा शुरू हुई और अठारह किलोमीटर का सफर लगभग साढ़े तीन घंटे मे पूरा हुआ। दीपावली पर्व की पूर्व संध्या पर लोगों ने पर्व मनाने की बजाय शहीद को अंतिम विदा देने में ज्यादा रुचि दिखाई और जगह—जगह शहीद के पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित कर अंतिम विदाई दी।

इसके बाद रात करीब साढ़े नौ बजे शहीद का शव खांजीपीर स्थित कब्रिस्तान पहुंचा और वहां बोहरा समुदाय की परम्परा के अनुसार उनकी अंतिम विदाई की रस्म हुई और पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ शहीद को सुपुर्द—ए—खाक किया गया। इससे पूर्व उदयपुर के जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने राज्य सरकार की ओर से शहीद मेजर मुस्तफा की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग हैडक्वार्टर से 25 किमी दूर एडवांस्ड लाइट आर्मी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने से देश के चार जवान शहीद हो गए थे, उनमें मेजर मुस्तफा भी शामिल थे। इसके अलावा इस हादसे में राजस्थान के झुंझुंनूं के रोहिताश और हनुमानगढ़ के मेजर विकास भी शहीद हो गए थे। मेजर मुस्तफा उदयपुर जिल के खेरोदा गांव के रहने वाले थे, जबकि उनका परिवार उदयपुर शहर के हाथीपोल चौराहे के पास रहता है।

किताबों में बहुत रुचि रखते थे मुस्तफा
शहीद हुए मेजर मुस्तफा के पिता जलीउद्दीन बोहरा कुवैत में प्रिंटिंग का कारोबार करते हैं। बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही वह शनिवार को उदयपुर पहुंचे। मुस्तफा की मां फातिमा बोहरा हाउस वाइफ हैं। छोटी बहन एलेफिया डेन्टिस्ट की पढ़ाई कर रही हैं। मुस्तफा के ताउजी बताते हैं कि मुस्तफा बचपन से होनहार था। उसे किताबें पढ़ने में रुचि थी। सेना में भर्तीं होने के लिए उसने दिन—रात तैयारी की और ना साल पहले वह एनडीए में सिलेक्ट हआ था।

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