Rishi Sunak के पीएम बनने के बाद क्यों सुर्खियों में आए चर्चिल, भारतीयों को लेकर दिया था विवादित बयान
नई दिल्ली
ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक बार फिर दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा है। ब्रिटेन में इस भारतवंशी ने यह दिखा दिया है कि वह सबसे उम्दा और सबसे अलग हैं। सुनक की इस उपलब्धि पर भारत में भी जश्न का माहौल है। सुनक के पीएम बनने के बाद सोशल मीडिया में उद्योगपति आनंद महिंद्रा का एक ट्वीट सुर्खियों में है। महिंद्रा के इस ट्वीट ने चर्चिल और भारत के औपनिवेशिक समय की यादें ताजा कर दी। लोग अब अतीत के पन्नों को पलट रहे हैं। आइए जानते हैं कि आजादी के बाद 21वीं सदी के भारत की तस्वीर कैसे बदल गई। आज भारत और उसके लोगों का लोहा दुनिया कैसे मान रही है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि सुनक के पीएम बनने के बाद क्यों सुर्खियों में आए ब्रिटेन के पूर्व पीएम चर्चिल। आखिर उन्होंने भारत के खिलाफ क्या विवादित बयान दिया था, जिसको लोग अब याद कर रहे हैं।
क्या था विंस्टन चर्चिल का दावा
- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि दरअसल, विंस्टन चर्चिल भारत की आजादी के खिलाफ थे। उपनिवेश काल में वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। उनका तर्क था कि अगर भारत को आजाद किया गया तो सत्ता गुंडों और मुफ्तखोरों के हाथ मे चली जाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारतीय नेता बहुत कमजोर हैं..। प्रो पंत ने कहा कि चर्चिल भारतीयों को कमजोर और लाचार समझते थे। उन्होंने संकेत दिया था कि भारत कभी एक राष्ट्र नहीं बन सकता है। वह एक स्वतंत्र देश नहीं बन सकता है। उनकी मान्यता थी कि भारतीयों को हमेशा ब्रिटेन का उपनिवेश रहना चाहिए।
- चर्चिल ने दावा किया था भारत न एक देश न एक राष्ट् है। यह एक महाद्वीप है। इसमें कई देश बसे हुए हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्रीकत भारत ब्रिटिश सरकार की उपज है। चर्चिल भारत में अनिश्चितकाल के लिए ब्रिटिश शासन कायम रखने के पक्षघर थे। इतना ही नहीं वह भारत के लिए डोमेनियन स्टेटस शब्द के इस्तेमाल के खिलाफ भी थे। चर्चिल का तर्क था कि ऐसे शब्दों से गलतफहमी होगी। चर्चिल ने लिखा है कि ब्रिटेन सम्राट के उच्च सेवकों चाहे वह मंत्री, वायसराय या गवर्नर हों उनके द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल या फिर इसके आधार पर उम्मीद जगाना गलत है, जब तक वह एक निश्चित समय में इसको हकीकत में बदलने के बारे में आश्वस्त न हों।
ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों का दबदबा
प्रो पंत ने कहा कि आज चर्चिल के ब्रिटेन में भारतीय मूल का व्यक्ति प्रधानमंत्री बन रहा है। प्रो पंत ने कहा कि दो सौ वर्षों तक भारत पर शासन करने वाले ब्रिटेन में भारतीयों का दबदबा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान जितने अंग्रेज भारत में रहे उसके दस गुना भारतीय ब्रिटेन में रहते हैं। वर्ष 1941 की जनगणना के मुताबिक उस वक्त 1.44 लाख के करीब ब्रिटिश रहते थे। आज तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की आबादी करीब 16 लाख से ज्यादा है। इतना ही नहीं उनका ब्रिटेन की राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में भारतीय मूल के लोगों का दबदबा है। ब्रिटेन की संसद और मंत्रिमंडल में भी बड़ी तादाद में भारतीय मूल के नेता हैं।
2022 में ब्रिटेन में 16 लाख आबादी भारतीयों की
यूके में भारतीय मूल के लोगों का हर क्षेत्र में दखल है। ब्रिटेन की आबादी का 2.3 फीसद आबादी भारतीय मूल के लोगों की है। वर्ष 2022 में ब्रिटेन में 16 लाख आबादी भारतीयों की है। इन भारतीय मूल के लोगों में 49.9 फीसद लोग यूके में ही जन्में हैं। खास बात यह है कि यूके में रह रही यह भारतीय आबादी युवा है। ब्रिटेन में 34.4 फीसद आबादी युवा लोगों की है। इनकी उम्र 18 से 34 साल की है। अगर आयु वर्ग के हिसाब से तुलना किया जाए तो ब्रिटेन में 24 वर्ष की उम्र वालों की भारतीय मूल के लोगों की तादाद 32.4 फीसद है। 25 से 44 आयु वर्ग की आबादी करीब 38.5 फीसद है।