September 23, 2024

गिरते रुपये के बीच किसे हो रहा फायदा, किसे नुकसान

0

नई दिल्ली
 
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन होने का उद्योगों पर मिलाजुला असर पड़ रहा है, कुछ को इससे नुकसान पहुंच रहा है तो सॉफ्टवेयर निर्यातकों समेत कुछ क्षेत्रों को लाभ बरकरार रहने की उम्मीद है। 80 के करीब रुपया: अब रुपया 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर के करीब पहुंच गया है और अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के प्रयासों के चलते रुपये में नरमी बनी रहने का अनुमान है। रुपये के अवमूल्यन का सबसे ज्यादा असर आयातित सामान पर या ऐसे सामान पर पड़ेगा जिनमें आयातित सामार का उपयोग होता है। इस श्रेणी में जिस वस्तु की सबसे ज्यादा मांग होती है वह है मोबाइल फोन।

इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रु ने कहा, ‘‘रुपये के मूल्य में एक फीसदी की गिरावट से मोबाइल फोन आपूर्ति श्रृंखला पर 0.6 फीसदी असर पड़ता है और इसकी वजह आयात किए जाने वाले घटक हैं। पांच फीसदी की गिरावट से कुल लाभ पर तीन फीसदी असर पड़ता है। ऐसे में कीमतें बढ़ेंगी।’’ उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, भारत की निर्यात पारिस्थितिकी को लाभ पहुंच रहा है। मोहिंद्रु ने कहा, ‘‘आयात तो महंगा हुआ लेकिन अच्छी बात यह है कि जिंसों की कीमतों में नरमी आने लगी है।’’

घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा में सहायक उपाध्यक्ष एवं कॉरपोरेट रेटिंग्स के प्रमुख दीपक जोटवानी ने रुपये के अवमूल्यन का सॉफ्टवेयर क्षेत्र असर के बारे में कहा, ‘‘उद्योग के राजस्व का बड़ा हिस्सा डॉलर में आता है, डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से उद्योग की राजस्व वृद्धि को बल मिला और मार्जिन भी बढ़ा।’’

इस्पात उद्योग पर रुपये के अवमूल्यन के असर के बारे में इंडियन स्टील एसोसिएशन के महासचिव आलोक सहाय ने कहा, ‘‘इस्पात उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक होता है कोकिंग कोल और रुपये में गिरावट के परिणामस्वरूप आयातित कोयला और भी महंगा हो जाएगा।’’ ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने बताया कि रुपये के मूल्य में गिरावट आने से आयातित घटक महंगे हो जाएंगे। इससे आयात महंगा हो जाएगा और ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय घटकों की हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत भी बढ़ेगी। मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के निदेशक संजय भूटानी ने कहा कि रुपये के अवमूल्यन से उद्योग के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। इससे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का आयात महंगा हो गया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *