November 24, 2024

जेपी नड्डा ने हिमाचल में स्वयं संभाला मोर्चा

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शिमला
 हिमाचल प्रदेश में इस बार 'सरकार नहीं, रिवाज बदले' के नारे के साथ दोबारा जनादेश हासिल करने के लिए विधान सभा के चुनावी मैदान में उतरी भाजपा के लिए अपने ही परेशानी का सबब बन गए है। पार्टी के बगावत करने वाले कई नेताओं की वजह से भाजपा कुछ सीटों पर संकट का सामना कर रही है। हालात को लगातार खराब होते देखकर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं ही मोर्चा संभाल लिया है। दरसअल, हिमाचल प्रदेश जेपी नड्डा का गृह राज्य है और इसलिए इस पहाड़ी राज्य में सीधे-सीधे भाजपा आलाकमान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यही वजह है कि बागियों को समझाने और मनाने के लिए नड्डा को स्वयं मैदान में उतरना पड़ा।

बताया जा रहा है कि नड्डा पार्टी और पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले नेताओं को स्वयं मना रहे हैं। जहां उन्हें लग रहा है कि किसी सिटिंग विधायक का टिकट काटने में गलती हुई, वहां पार्टी ने तुरंत अपना उम्मीदवार बदल दिया और जहां उन्हें लग रहा है कि पार्टी का फैसला बिल्कुल सही है वहां वह बागियों से सख्ती से भी निपट रहे हैं।

पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में चंबा के सिटिंग विधायक पवन नय्यर का टिकट काटकर इंदिरा कपूर को चंबा से उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाद दो दिनों के अंदर ही उम्मीदवार बदल कर पवन नय्यर की पत्नी नीलम नय्यर को चंबा से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।

पार्टी के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह को कुल्लू सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया था लेकिन उनके बेटे हितेश्वर सिंह ने बगावत का झंडा बुलंद करते हुए बंजारा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। नड्डा ने बाप-बेटे दोनों का मनाने की कोशिश की लेकिन जब वो नहीं माने तो सख्त रवैया दिखाते हुए उन्होंने पिता का भी टिकट काट दिया। अब भाजपा ने कुल्लू सीट से महेश्वर सिंह का टिकट काटकर नरोत्तम ठाकुर को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

जेपी नड्डा ने टिकट न मिलने से नाराज जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया और रविटा भारद्वाज से स्वयं मुलाकात कर उनकी नाराजगी को दूर किया। कई अन्य नेताओं को भी मनाने का प्रयास लगातार जारी है।

इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष लगातार कांग्रेस में भी सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी की एंट्री के बावजूद फिलहाल भाजपा यह मान कर चल रही है कि उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही होगा। इस हालात में कई सीटों पर जीत-हार का अंतर बहुत कम रहने वाला है और इसलिए भाजपा किसी भी मोर्चे पर कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

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