September 22, 2024

117 दिन बाद 4 नवंबर को योगनिद्रा से जागेंगे श्रीहरि

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 भगवान शिव को सृष्टि के संचालन का जिम्मा देकर देवशयनी एकादशी से 117 दिन की योग निद्रा पर गए श्रीहरि विष्णु 4 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी पर जागेंगे। हालांकि, हर बार की तरह इस बार एकादशी से वैवाहिक आयोजनों की शुरुआत नहीं होगी। चातुर्मास में मांगलिक आयोजनों पर लगा विराम शुक्र का तारा अस्त होने के चलते 141 दिन लंबा हो गया है। इसके चलते विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश सहित विभिन्न मांगलिक कार्यों की शुरुआत 26 नवंबर से होगी।

भगवान योगनिद्रा पर 10 जुलाई को गए थे, जबकि वैवाहिक आयोजन पर विराम 9 जुलाई से लग गया था। इस बार सूर्य और शुक्र की स्थिति ठीक नहीं होने के चलते देवउठनी ग्यारस से वर्ष के अंतिम वैवाहिक सीजन की शुरुआत नहीं होगी। हालांकि, सामान्य अबूझ मुहूर्त होने और लोक परंपरा के आधार पर कुछ विवाह समारोह होंगे। शुक्र का तारा पश्चिम में उदय होने के बाद 26 नवंबर को विवाह का शुद्ध मुहूर्त है।

पांच को तुलसी विवाह –   4 नवंबर को भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागेंगे और 5 नवंबर को तुलसी विवाह संपन्न होगा। नवंबर में तीन और दिसंबर में पांच सहित इस वर्ष कुल आठ मुहूर्त हैं। इस वर्ष विवाह का अंतिम मुहूर्त 14 दिसंबर को रहेगा। 16 दिसंबर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ मलमास लगेगा और एक माह के लिए मांगलिक कार्यों पर पुन: विराम लग जाएगा।

विवाह के मुहूर्त –

    नवंबर में 26, 27 और 28 कुल तीन दिन।

    दिसंबर में 2, 7, 8, 9 और 14 सहित कुल पांच दिन।

    जनवरी 2023 में 25, 26 व 30 सहित कुल तीन दिन।

    फरवरी 2023 में 9, 10, 15, 16 व 22 सहित पांच दिन।

    मार्च 2023 में 8 व 9 सहित दो दिन।

साथ होगी विष्णु और लक्ष्मी की आराधना

देवउठनी एकादशी इस बार खास होगी। बड़ी एकादशी पर जब भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे तो उस दिन माता लक्ष्मी का प्रिय दिन शुक्रवार रहेगा। इसके चलते लक्ष्मी आराधना भी होगी।कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को कई नामों से जाना जाता है। एकादशी के बाद कार्तिक पूर्णिमा आती है, जिसे देवताओं की दिवाली के रूप में मनाया जाता है।

व्रत का फल राजसूय एवं सहस्र अश्वमेघ यज्ञ के समान

एकादशी व्रत का फल सौ राजसूय यज्ञ तथा एक सहस्र अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर बताया गया है। देवोत्थान एकादशी के दिन व्रतोत्सव करना प्रत्येक सनातनधर्मी का आध्यात्मिक कर्तव्य बताया जाता है। इस एकादशी के दिन भक्त श्रद्धा के साथ जो कुछ भी जप-तप और स्नान-दान करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। रात्रि जागरण तथा व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रती मरणोपरांत बैकुंठ जाता है। तुलसी विवाह भी हर घर में किया जाता है।

 

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