November 23, 2024

सदन में खुले मन से संवाद और जरूरत पड़ने पर आलोचना भी हो,निर्णयों में सकारात्मक योगदान मिले-पीएम मोदी

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नई दिल्ली

संसद का मानसून सत्र सोमवार 18 जुलाई से शुरू हो गया है। इस सत्र के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों से खास अपील की। उन्होंने संसद को तीर्थक्षेत्र बताया। पीएम मोदी ने सभी सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा, संसद का ये सत्र काफी अहम है। ये संकल्प का कार्यकाल है और इस कार्यकाल में हम आने वाले हिंदुस्तान की नई परिभाषा लिखेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि, संसद में बहस हो, लेकिन खुले मन से हो, जरूरत पड़ने पर आलोचना भी हो।

सही विश्लेषण के आधार पर हो आलोचना
पीएम मोदी ने मानसून सत्र की शुरुआत से पहले कहा कि, 'हम सदन को संवाद का एक सक्षम माध्यम मानते हैं, तीर्थक्षेत्र मानते हैं, जहां खुले मन से संवाद होना चाहिए। जरूरत पड़े तो वाद विवाद हो, आलोचना हो, लेकिन उचित विश्लेषण के आधार पर चर्चा हो। ताकि नीतियों में सकारात्मक योगदान हो सके।

आजादी के लिए जिन्होंने जवानी और जीवन गंवा दिया, उनके सपनों को ध्यान में रखकर के सदन का सर्वाधिक सदुपयोग हो, यही मेरी कामना है।

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र मौसम से जुड़ा हुआ है। ऐसे में दिल्ली में भी वर्षा अपना दस्तक देना प्रारंभ कर रही है फिर भी न बाहर की गर्मी कम हो रही है और पता नहीं कि अंदर (संसद के भीतर) गर्मी कम होगी कि नहीं होगी। यह कालखंड एक प्रकार से बहुत महत्वपूर्ण है। यह आजादी के अमृत महोत्सव का कालखंड है।
 

 उन्होंने कहा कि सदन संवाद का एक सक्षम माध्यम होता है और वह उसे ‘‘तीर्थ क्षेत्र’’ मानते हैं जहां खुले मन से, वाद-विवाद हो और जरूरत पड़े तो आलोचना भी हो। उन्होंने कहा कि उत्तम प्रकार की समीक्षा करके चीजों का बारीकी से विश्लेषण हो ताकि नीति और निर्णयों में बहुत ही सकारात्मक योगदान मिल सके। मैं सभी सांसदों से यही आग्रह करूंगा कि गहन चिंतन और उत्तम चर्चा करें ताकि सदन को हम अधिक से अधिक सार्थक तथा उपयोगी बना सकें।

 

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