November 24, 2024

80 कली का घाघरा पहन कर लगातार चक्करदार नृत्य करते हैं फिर भी चक्कर नहीं आता

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रायपुर

युद्ध विजय के पश्चात राजस्थान के कोटा और आसपास के रजवाड़ों में चकरी नृत्य की परंपरा थी। इस नृत्य में 80 कली का घाघरा पहनकर कंजर जाति की महिलाएं नृत्य करती हैं। वे बेहद तेज रफ्तार से गोल चक्कर लगाते हुए नृत्य करती हैं लेकिन उनका संतुलन इतना अद्भुत होता है कि उन्हें चक्कर बिल्कुल नहीं आता। इस लोक नृत्य का सुंदर प्रदर्शन आज राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हुआ। महोत्सव के दौरान राजस्थान से आये लोककलाकारों ने इस सुंदर नृत्य को प्रस्तुत किया।

पहले यह नृत्य विजय के अवसर पर किया जाता था। बाद में खास तौर पर मांगलिक उत्सवों में किया जाने लगा। नृत्य की खास विशेषता इसकी द्रुत गति है। जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में पंथी नृत्य अपनी द्रुत गति से चकित कर देता है। उसी तरह से चकरी नृत्य भी अपने वेग से चकित कर देता है। नृत्य जैसे ही गति लेता है वाद्ययंत्रों की ध्वनि भी उसी तरह से तेज होने लगती है और नृत्य तथा संगीत दोनों की समता देखने वालों को विस्मय से भर देती है। इस नृत्य में राजस्थान की अद्भुत लोक संस्कृति और नृत्य परंपराओं की झलक दर्शकों को देखने मिली। साथ ही पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा की झलक भी देखने को मिली।

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