‘चंबल लिटरेरी फेस्टिवल’ का पोस्टर रिलीज, दो दिवसीय साहित्य-संस्कृति का होगा समागम
भिंड
चंबल लिटरेरी फेस्टिवल में इतिहास, साहित्य और कलाओं को समेटे यहां के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों पर हुए लेखन पर विमर्श और उनका मूल्याकंन होगा। इस साहित्य महाकुंभ से चंबल अंचल में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। बगावत का उद्गम स्थल चंबल ने जहां सदियों से अपनी छाप छोड़ी है, वहीं वैश्विक साहित्य और विचार को प्रेरित किया है। चंबल की समृद्ध साहित्यिक विरासतों पर विभिन्न विषयों पर चर्चा सत्र का आयोजन होना लाजिमी है। इसमें लेखन, संगीत, पेंटिंग, फिल्म, वास्तुकला पर व्याख्यानों, सेमिनारों, कार्यशालाओं, चर्चा सत्रों के जरिये चंबल साहित्य को बढ़ावा देने के लिए लेखक, दार्शनिक, विचारक और कलाकार मंथन करेंगे।
सीएलएफ के संस्थापक क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाहआलम राना ने कहा, चंबल घाटी के साकारात्मक पहलुओं पर कम और नाकारात्मक पहलुओं पर ज्यादा लिखा पढ़ा गया है, जिससे चंबल की छवि को गहरा धक्का लगा है। विश्व धरोहर चंबल घाटी का दाग मिटाने के लिए 'चंबल लिटरेरी फेस्टिवल' की नींव साल 2020 में रखी गई। उत्तर भारत के मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक विस्तृत चंबल के बीहड़ों का संघर्षमय अतीत बरसों से सृजनधर्मियों को आंदोलित करता रहा है। यह अंचल और यहां की नदियां, तट और उनका रजत-मृदुल कैनवस पर उकेरी जाने वाली कल्पनाओं की तरह चित्रमय और भावमय बनाने को सहज ही उकसाती है। यह चंबल की धरती जो हमेशा मानवता के पक्ष में खड़े होने और विद्रोह की प्रेरक बनती आई है।
चंबल लिटरेरी फेस्टिवल के तीसरे साल आयोजन का पोस्टर शासकीय एमजे एस महाविद्याल, भिंड में रिलीज किया गया। सीएलएफ आयोजन समिति ने बताया, सीएलएफ के दो दिवसीय आयोजन को चार सत्रों में बांटा गया है। पहला सत्र-चंबल: इतिहास और संस्कृति, दूसरा सत्र: कविताओं में चंबल, तीसरा सत्र: फिल्में और लोक कलाएं, चौथा सत्र: चंबल के सरोकारी रचनाकार रखा गया है।
चंबल लिटरेरी फेस्टिवल
इस चर्चा सत्र के दौरान विमर्श, सरोकारी कवि सम्मेलन, कहानी का पाठ, चंबल पुस्तक प्रदर्शनी, नाटक-नौटंकी, लोकगीत आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। सीएलएफ की तैयारियों ने अब गति पकड़ ली है। चंबल परिवार जुड़े साथी चंबल अंचल के सातों जनपदों के सरोकारी रचनाकारों से मिल रहे हैं। उनकी चंबल पृष्ठभूमि पर लिखी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाएं पांडुलिपि संग्रहित कर रहे हैं और सीएलएफ के तीसरे आयोजन में शामिल होने का आग्रह कर रहे हैं। औरैया, इटावा, जालौन, भिंड, मुरैना और धौलपुर जिलों से सीएलएफ आने वाली अप्रकाशित सामग्री और पांडुलिपि को 'चंबल संग्रहालय' संरक्षित रखने के साथ प्रकाशित भी करेगा।
चंबल साहित्य उत्सव पोस्टर रिलीज के दौरान कस्बाई इतिहासकार देवेन्द्र सिंह चौहान, कवियत्री और शिक्षिका डॉ. कमला नरवरिया, डॉ. कमल कुमार कुशवाहा, चन्द्रोदय सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह एडवोकेट, डॉ. अनीता बंसल, प्राचार्य प्रोफेसर मालवीय विमल और विक्रम सिंह कुशवाहा आदि ने इस अवसर पर अपनी बात रखी।