बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से गांगुली को हटाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर
कोलकाता.
सौरव गांगुली की जगह हाल ही में भारत की विश्व कप (1983) विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का नया अध्यक्ष चुना गया है. अब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाने के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है.
अधिवक्ता रामप्रसाद सरकार द्वारा दायर जनहित याचिका पर 8 नवंबर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है. सरकार का तर्क है कि गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश था कि वह उस कुर्सी पर और तीन साल तक बने रह सकते हैं.
गांगुली सबसे पहले क्रिकेट प्रशासन में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव के रूप में आये थे. जगमोहन डालमिया के निधन के बाद वह सितंबर 2015 में इसके अध्यक्ष बने. फिर अक्टूबर 2019 में गांगुली ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की बागडोर संभाली.
उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने जय शाह के लिए 2025 तक तीन साल और बीसीसीआई सचिव के रूप में बने रहने का रास्ता साफ कर दिया. हालांकि, शाह के अपनी कुर्सी पर बने रहने के बावजूद, गांगुली को हटा दिया गया.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बंगाल टीम के पूर्व खिलाड़ी होने के नाते गांगुली बंगाल का गौरव हैं. उन्होंने कहा, ‘यह राज्य का अपमान है. उनको हटाए जाने के पीछे निश्चित रूप से कुछ राजनीतिक साजिश है.’
गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद पश्चिम बंगाल में जबरदस्त राजनीतिक बवाल हुआ था. मुख्यमंत्री ममता के अलावा कई नेताओं ने उनके पक्ष में बयान दिया था और उनके निष्कासन को राजनीतिक साजिश और उनके प्रति अन्याय बताया. सीएम ममता ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गांगुली को भारत का प्रतिनिधि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का अध्यक्ष बनाने के लिए कहेंगी. हालांकि, ऐसा भी नहीं हुआ.
बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद गांगुली ने घोषणा की थी कि वह बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष बनने के लिए चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, अंतिम समय में वह पीछे हट गए. इसके बजाय उस पद के लिए अपने बड़े भाई, स्नेहासिस गांगुली का समर्थन किया, जो बंगाल टीम के पूर्व खिलाड़ी भी थे.