चीन का रिसर्च पोत हिंद महासागर में ,भारतीय नौसेना अलर्ट
नई दिल्ली
सरहद पर भारत को दादागिरी दिखाने के लिए तरह-तरह की चालबाजियां करने वाला चीन अब समंदर में भी भारत को आंखें दिखाने की कोशिशें कर रहा है. चीन ने अपना एक रिसर्च पोत (research vessel) हिंद महासागर क्षेत्र में भेज दिया है. चीन की इस हरकत के बाद भारतीय नौसेना अलर्ट हो गई है. नेवी ने चीन के उस पोत पर कड़ी नजर बना रखी है. अभी यह कंफर्म नहीं हुआ है, लेकिन इस पोत का मकसद इंडियन नेवी की एक्टिविटी पर नजरें बनाए रखना भी हो सकता है.
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक चीन का पोत हिंद महासागर में जरूर है, लेकिन भारत के समुद्री क्षेत्र से काफी दूर है. इसके बाद भी सुरक्षा के लिहाज से भारतीय नौसेना का एक अनमैंड एरियल व्हीकल (UAV) लगातार चीन के उस पोत पर नजर बनाए हुए है. दरअसल, चीन अपने उपग्रह प्रक्षेपण (satellite launches) पर नजर रखने के लिए इस तरह के अनुसंधान संबंधित जहाजों को भेजता रहता है. लेकिन इस बार आशंका ये भी जताई जा रही है कि इस जहाज का उद्देश्य उस भारतीय मिसाइल को ट्रैक करना हो सकता है, जिसकी कुछ महीनों में लॉन्चिंग है.
जिस मिसाइल की बात की जा रही है. उसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है. भारत लंबे समय से ऐसे जासूसी जहाजों से निपट रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर रहकर भी अपने उपकरणों की मदद से गतिविधियों का पता लगा सकते हैं और उन पर नजर रखने में सक्षम होते हैं. इससे पहले चीन ने अपना एक जासूसी पोत भारत की समुद्री सीमा के करीब श्रीलंका में भेज दिया था. उस समय भारत अपने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत की लॉन्चिंग की तैयारियां कर रहा था.
हिन्द महासागर भारतीय नौसेना का आंगन
हिन्द महासागर को भारत का आंगन कहा जाता है. कूटनीतिक और राजनीतिक शब्दावली में हिन्द महासागर भारत का बैकयार्ड कहलाता है. इस समंदर से भारत का मजबूत राजनीतिक, आर्थिक और यहां तक कि सामाजिक रिश्ता है. देश के विदेशी व्यापार का बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से होता था और अभी भी होता है. लेकिन भारत का ये आंगन चीन को खुली आंख नहीं सुहाता है. चीन कई बार हिंद महासागर में अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं की मुक्त आवाजाही पर सवाल उठा चुका है.
क्या है हिन्द महासागर के पावर गेम?
इस समंदर में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे सुपर पावर की मौजूदगी के बाद भारत हिन्द महासागर के इस पावर गेम से बाहर नहीं हो सकता. क्योंकि ये हमारा बैकयार्ड है. समय की मांग है कि भारत अपने आंगन में चल रहे सामरिक गठजोड़, युद्धाभ्यास, व्यापार की न सिर्फ जानकारी रखे, बल्कि इसमें लीड रोल भी निभाए. दरअसल, विस्तारवादी चीन की कुत्सित महात्वाकाक्षाएं न सिर्फ भारत के साथ देश के उत्तर और पूर्वी सीमा पर टकरा रही है, बल्कि चालबाज चीन समंदर में भी अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है.