November 26, 2024

गुलाम नबी आजाद का जागा कांग्रेस के प्रति प्रेम

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श्रीनगर
 क्या कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का फिर से कांग्रेस के प्रति प्रेम जाग गया है, जिसकी प्राथमिक सदस्यता से उन्होंने इस साल 26 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था? कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आजाद ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाई, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू और कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

कांग्रेस से इस्तीफा देकर उनका अनुसरण करने वाले अपने समर्थकों को आश्चर्यचकित करते हुए आजाद ने रविवार को कहा कि गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों में अकेले कांग्रेस में भाजपा को चुनौती देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली तक सीमित पार्टी है।

डोडा जिले के अपने दौरे के दौरान कुछ पत्रकारों से बात करते हुए आजाद ने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की प्रशंसा की और कहा कि वह कांग्रेस के खिलाफ नहीं, उसकी कमजोर पार्टी प्रणाली के खिलाफ हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह कभी भी धर्मनिरपेक्षता की कांग्रेस की नीति के खिलाफ नहीं थे।

उन्होंने कहा, "मैं अब भी चाहता हूं कि कांग्रेस गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव जीते।" हैरानी की बात यह है कि आजाद ने कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए कहा कि वह हिंदू और मुस्लिम किसानों को साथ लेकर चलती है।

पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस की तारीफ की और आप की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा, "आप पंजाब की सत्ता में भले ही आ गई है, लेकिन वह इस राज्य में कुछ नहीं कर सकती और पंजाब के लोग आप को दोबारा वोट नहीं देंगे। केवल कांग्रेस ही पंजाब को कुशलता से चला सकती है। यह एकमात्र पार्टी है जो गुजरात और हिमाचल में भाजपा को चुनौती दे सकती है। आप एक ऐसी पार्टी है जो केवल दिल्ली में मौजूद है। कांग्रेस की समावेशी नीति है।"

अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या पूर्व वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस के प्रति फिर से नरमी बरती है, उन्होंने दो महीने पहले कई आरोप लगाते हुए कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।

उन्होंने यहां तक कह दिया था कि राहुल गांधी ने जो भी फैसले लिए हैं, वह उनके सुरक्षाकर्मी ले रहे हैं। इस साल 26 अगस्त को आजाद ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजने के बाद कांग्रेस के साथ अपने दशकों पुराने जुड़ाव को खत्म कर दिया था। उन्होंने अपने पत्र में राहुल गांधी की काफी आलोचना की थी।

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