वर्ष 2022-23 में 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात की मिली अनुमति
नई दिल्ली
भारत सरकार ने 2022-23 के दौरान 60 एलएमटी तक चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। केंद्र सरकार ने 30 सितंबर 2023 तक घरेलू उपभोग के लिए लगभग 275 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चीनी, इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 50 एलएमटी चीनी की उपलब्धता रखने को प्राथमिकता दी है। देश में चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी की शेष मात्रा की निर्यात अनुमति के लिए दी जाएगी। चूंकि चीनी सीजन 2022-23 के आरंभ से ही, गन्ना उत्पादन के शुरुआती अनुमान उपलब्ध हैं, इसलिए 60 एलएमटी चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। चीनी सीजन 2021-22 के दौरान, भारत ने 110 एलएमटी चीनी का निर्यात किया और विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया। इससे देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई है। चीनी मिलों के लिए समय पर भुगतान और स्टॉक की कम वहन लागत के परिणामस्वरूप भी किसानों के गन्ना बकाया की शीघ्र निकासी हुई।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक, 31 अक्टूबर 2022 तक 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गन्ने की रिकॉर्ड खरीद के बावजूद चीनी सीजन 2021-22 के लिए किसानों के 96 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया पहले ही चुका दिया गया था।
मंत्रालय का कहना है कि चीनी सीजन 2022-23 के लिए चीनी निर्यात नीति में, सरकार ने पिछले तीन वर्षो में चीनी मिलों के औसत उत्पादन और पिछले तीन वर्षो में देश में औसत चीनी उत्पादन के आधार पर एक वस्तुपरक प्रणाली के साथ देश की सभी चीनी मिलों के लिए चीनी मिलवार निर्यात कोटा की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, चीनी निर्यात में तेजी लाने और निर्यात कोटा के निष्पादन में चीनी मिलों को लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए, मिलें आदेश जारी होने की तिथि के 60 दिनों के भीतर कोटा को आंशिक रूप से या पूरी तरह से सरेंडर करने का निर्णय ले सकती हैं या 60 दिनों के भीतर वे घरेलू कोटा के साथ निर्यात कोटा विनिमय कर सकती हैं।
मंत्रालय के मुताबिक, यह प्रणाली देश की लॉजिस्टिक प्रणाली पर कम बोझ सुनिश्चित करेगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि विनिमय प्रणाली घरेलू उपभोग के लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र में चीनी के निर्यात और आवाजाही के लिए दूर-दराज के स्थानों से बंदरगाहों तक चीनी के परिवहन की आवश्यकता में कमी लाएगी।
देश में इथेनॉल का उत्पादन एक अन्य फोकस क्षेत्र है, जो ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिए देश के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। उत्पादकों के लिए इथेनॉल की अधिक कीमतों ने पहले ही डिस्टलरियों को इथेनॉल की ओर अधिक चीनी को डायवर्ट के लिए प्रोत्साहित किया है। 2022-23 के दौरान इथेनॉल उत्पादन की दिशा में 45-50 एलएमटी चीनी का डायवर्जन होने की उम्मीद है।
मंत्रालय का कहना है कि चीनी निर्यात की अनुमति देकर, सरकार ने गन्ना किसानों और चीनी मिलों के हितों की भी रक्षा की है, क्योंकि मिलें अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय चीनी मूल्य परिदृश्य का लाभ लेने और चीनी की बेहतर कीमतों को प्राप्त करने में सक्षम होंगी। इससे वर्तमान चीनी सीजन 2022-23 में किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान भी किया जा सकता है और मिलों के पास चीनी स्टॉक के इष्टतम स्तर के कारण उनकी कार्यशील पूंजी लागत में भी कमी आ सकती है।
मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 6 वर्षो में सरकार ने चीनी क्षेत्र में विभिन्न और सही समय पर कई कदम उठाए हैं, जिससे कि चीनी मिलें सक्षम हो सकें और एक आत्मनिर्भर क्षेत्र बन सकें। चीनी सीजन 2022-23 के दौरान, चीनी मिलों को चीनी उत्पादन के लिए कोई सब्सिडी नहीं दी गई थी और वर्तमान सीजन में भी, भारत सरकार से वित्तीय सहायता के बिना देश के चीनी क्षेत्र द्वारा अच्छा प्रदर्शन किए जाने की उम्मीद है।