यूरोप में गर्मी से इस वर्ष 15,000 लोगों से अधिक की हुई मौत : WHO
जिनेवा
यूरोप के देशों में इस साल जलवायु परिवर्तन के कारण भारी नुकसान हुआ है. कुछ देशों में असामान्य बारिश, हीटवेव के वजह से सूखा पड़ जाना और जंगलों में आग लगना जैसी घटनाओं ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया था. यूरोप के लिए WHO के क्षेत्रीय निदेशक, हंस हेनरी क्लुगे ने कहा कि इस साल यूरोप में गर्म मौसम से कम से कम 15,000 लोगों की मौत हो चुकी है. यह आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है.
यूरोप के इन देशों में मौत के आंकड़े दर्ज किए गए
रिपोर्ट के अनुसार, क्लूज ने बताया, “अब तक प्रस्तुत किए गए देश के आंकड़ों के आधार पर, यह अनुमान है कि 2022 में विशेष रूप से गर्मी के कारण कम से कम 15,000 लोगों की मौत हुई. यूरोप के स्पेन में लगभग 4,000 मौतें, पुर्तगाल में 1,000 से अधिक, यूनाइटेड किंगडम में 3,200 से अधिक और जर्मनी में लगभग 4,500 मौतों की सूचना स्वास्थ्य अधिकारियों ने गर्मियों के 3 महीनों के दौरान दी थी.”
पिछले 50 वर्षों में यूरोपीय क्षेत्र में 148,000 से अधिक लोगों की जान चली गई
यूरोप में तापमान 1961-2021 की अवधि में लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की औसत दर से काफी गर्म हो गया है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा इस सप्ताह शुरू की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सबसे तेजी से गर्म होने वाला क्षेत्र है. पिछले 50 वर्षों में यूरोपीय क्षेत्र में अत्यधिक तापमान के कारण 148,000 से अधिक लोगों की जान चली गई. उसके बाद से सिर्फ 1 साल में, 15000 और लोगों की जान चली गई.
जलवायु परिवर्तन से लगभग 84 प्रतिशत बाढ़ या तूफान आया
साल 2021 में, उच्च प्रभाव वाले मौसम और जलवायु की घटनाओं के कारण सैकड़ों मौतें हुईं और सीधे तौर पर आधे मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए. इन घटनाओं में से लगभग 84 प्रतिशत बाढ़ या तूफान थे. क्लुगे ने बताया कि, वैश्विक औसत तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ हमारे क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ पर प्रभाव पड़ा है.
WHO ने लंबे समय से आपदा का अलार्म बजाया है
यह आंकड़ा तब आया है जब दुनिया भर के प्रतिनिधि और वार्ताकार 2022 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27) में मिस्र के शर्म अल-शेख में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को तत्काल कम करने के लिए पूर्व समझौतों पर निर्माण करने के लिए बैठक कर रहे हैं. जलवायु परिवर्तन और इससे उत्पन्न संकट लंबे समय से आपात स्थिति हैं. WHO और भागीदारों ने लंबे समय से अलार्म बजाया है, लेकिन कार्रवाई बहुत धीमी है.