प्रकृति के करीब रहकर मैं तनाव मुक्त रहता हूं: सुरेंद्र राजन
हमारे देश की संस्कृति समृद्ध रही है, लेकिन अब हम सभी विकास के नाम पर भागे जा रहे हैं। पेड़ काट दिए गए, बड़ी-बड़ी इमारतें तान दी गईं। पैसों का ऐसा लालच कि जिंदगी में बस तनाव ही बचा है। ऐसे माहौल में मैं नहीं रहना चाहता था। मैंने विदेश में रहने वाले दोस्तों से बात की और मॉरीशस चला गया। वहां जाकर मैं पेंटिंग करने लगा। यह कहना था एक्टर सुरेंद्र राजन का। वे इन दिनों एक फिल्म की शूटिंग के लिए भोपाल आए हुए हैं। उन्होंने बताया कि मॉरीशस से एक साल बाद फिल्म शूटिंग के लिए भारत आया और फिर कोयंबटूर में रहने लगा। मैं जहां भी रहता हूं, यह देखता हूं कि मेरे आस-पास पेड़ जरूर हों। उन्होंने कहा कि मैं फिल्में नहीं देखता। इससे अच्छा है कि मैं अपने सपने देखूं। मैं फिल्म में भी पैसे के लिए काम नहीं करता। इससे जो भी राशि मिलती है, उससे मैं अपने पहचान वालों की मदद कर देता हूं। सुरेन्द्र ने बताया कि फिल्म इलेक्ट्रिक में मेरे किरदार की तारीफ हुई। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक वामन केंद्रे ने मेरे बारे में पढ़ा। वे जब एनएसडी के स्टूडेंट थे उन दिनों मैं वहां फोटोग्राफी डिपार्टमेंट में था। वह आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर एक शो कर रहे थे। उन्हें सारे कैरेक्टर मिल गए, लेकिन गांधी के किरदार के लिए कोई नहीं मिल रहा था। उन्होंने दिल्ली में खबर भिजवा दी कि राजन को मुंबई भेजा जाए। मैं 15 दिन के लिए मुंबई आया और 15 साल मुंबई में ही रहा। उसके बाद एक्टिंग में काम मिलता गया और काम करता गया। मैंने कभी यहां रहकर ये नहीं सोचा कि सिर्फ पैसा ही कमाना है।