November 26, 2024

यूपी के सरकारी अस्पतालों की कुंडली तैयार कराएगा स्वास्थ्य विभाग, देना होगा हर मरीज का हिसाब

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लखनऊ
यूपी के सरकारी अस्पतालों की कुंडली तैयार होगी। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला स्तरीय अस्पताल तक सभी शामिल हैं। जो मरीजों को इलाज देने के बजाय यहां-वहां रेफर कर रहे हैं, उनकी खैर नहीं। ओपीडी से लेकर भर्ती मरीजों का पूरा रिकार्ड देखा जाएगा। जिन अस्पतालों में डॉक्टर या स्टाफ नहीं है, उन्हें भी चिन्हित किया जाएगा। वहां स्टाफ की तैनाती होगी। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के लिए मानक तय किए हैं। मूल्यांकन को अधिकारी भी लगा दिए हैं। सारी कवायद मरीजों को डोर स्टेप (घर के करीब) पर इलाज मुहैया कराने की है। पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया जैसे चिकित्सा संस्थानों में इतनी भीड़ है कि पांव रखने की जगह नहीं है। इतने मरीज भर्ती हैं कि नये आने वाले गंभीर मरीजों के लिए भी जगह नहीं है। इनमें बड़ी संख्या में मरीज प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाले हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों कहा था कि मरीजों को बेवजह रेफर न किया जाए। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने विभागीय अधिकारियों को सुधार के निर्देश दिए थे।
 
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के निर्देश पर सभी अस्पतालों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने को मानक तय किए गए हैं। इन्हीं मानकों के आधार पर अस्पतालों को अलग-अलग केटेगरी में बांटा जाएगा। पीएचसी, सीएचसी और जिला स्तरीय अस्पतालों के लिए अलग-अलग इंडीकेटर हैं। इन्हीं इंटीकेटरों को आधार मानकर अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करनी है।
 
पीएचसी
-पिछले महीने में जीरो ओपीडी वाली पीएचसी।
-डिलीवरी प्वाइंट वाली वो पीएचसी जहां गत माह तीन से कम डिलीवरी हुई।
-फेमिली प्लानिंग का एक साल में कोई केस नहीं हुआ।
-बिना डाक्टर वाली पीएचसी।
 
सीएचसी
-पिछले महीने जहां ओपीडी में 1000 से कम मरीज देखे गए
-गत माह जहां 50 से कम डिलीवरी हुई।
-75 से कम मरीज गत माह भर्ती किए गए हों।
-पिछले तीन महीने में कोई सिजेरियन न हुआ हो।
-जीरो या एक मेडिकल अफसर वाली सीएचसी
 
 जिला स्तरीय अस्पताल
-महिला अस्पताल जहां गत माह 30 से कम सिजेरियन हुए हों।
-पिछले एक माह में कोई अल्ट्रासोनोग्राफी और जांच न हुई हो।
-पिछले महीने में कोई एक्सरे न हुआ हो।
-जिला अस्पताल जहां पिछले महीने में कोई मेजर सर्जरी न हुई हो
-600 से कम मरीज भर्ती हुए हों।
-एक महीने में ओपीडी 10 हजार से कम हो।
-लैब टेस्ट 4000 से कम हों।

 

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