राज्यसभा की हार भूले नहीं अजय माकन, कांग्रेस नेता को ही बताया जिम्मेदार; तू-तू मैं-मैं शुरू
चंडीगढ़
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (भाजपा-जजपा) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा की जीत के खिलाफ कांग्रेस नेता अजय माकन ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। माकन ने कहा कि शर्मा के पक्ष में डाले गए एक वोट को खारिज कर दिया जाना चाहिए था, क्योंकि यह उस कॉलम में चिह्नित नहीं किया गया था, जहां वरीयता को दर्ज किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चूंकि मत को वैध माना गया था और चुनाव परिणाम पर इसका असर पड़ा था, इसलिए उन्हें याचिका दायर करनी पड़ी।
कांग्रेस की किरण चौधरी के वोट को अवैध घोषित किए जाने की खबरों के बारे में माकन ने कहा, "यह स्पष्ट था कि जब किरण चौधरी वोट डालने के बाद बाहर आईं, तो उन्होंने खुद कहा था कि उन्होंने उम्मीदवार के नाम के आगे 'टिक मार्क' लगाया था। हमने बैलट नंबर देखा था, जिस पर टिक मार्क लगाया गया था और उसके सीरियल नंबर की जांच भी की थी और इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि खारिज किया गया वोट किरण चौधरी का था।"
मुझे नहीं चाहिए वफादारी का प्रमाण पत्र: किरण चौधरी
इस पर कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने ट्वीट कर कहा, "मैं समझ सकती हूं, माकन कई चुनाव हार चुके हैं, मेरी सहानुभूति उनके साथ है। माकन का इस तरह किसी का नाम लेना बहुत अपरिपक्व कदम है। मैं 2004 में एक वोट से हार गई थई और यह अभी भी नहीं पता कि यह किसका वोट था। रही बात कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादारी कि तो उसका प्रमाण पत्र मुझे किसी से नहीं चाहिए। मेरी नेता सोनिया गांधी सब जानती हैं।"
गलती किससे हुई और किसने जानबूझकर की: माकन
माकन ने कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी विवेक बंसल को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के अधिकृत मतदान एजेंट ने अंत तक कहा कि हमें एकल वरीयता के 30 मत मिले, जबकि केवल 29 मत एकल वरीयता के डाले गए। उन्होंने कहा, "एक बात जो है, एक ही समय में किरण चौधरी की गलती और हमारी पार्टी के अधिकृत एजेंट की गलती सांख्यिकीय रूप से असंभव लगती है। इसलिए उन्हें यह बताना होगा कि गलती किससे हुई और किसने जानबूझकर की, क्योंकि दोनों एक ही समय में गलती नहीं कर सकते।" हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 31 सदस्य हैं। माकन की जीत के लिए यह संख्या पर्याप्त थी। हालांकि, पार्टी विधायक कुलदीप बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग की, जबकि एक और मत अवैध करार दे दिया गया था।