November 26, 2024

अयोध्या रामजन्मभूमि में फहराएगा भारत का सबसे ऊंचा ध्वज, 642 फिट होगी ऊंचाई

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 अयोध्या
 
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला दिव्य मंदिर की दिव्यता को बढ़ाने के लिए यहां विश्व का सबसे ऊंचा ध्वज फहराया जाएगा। इस ध्वज का स्तम्भ 642 फिट ऊंचा होगा। इस स्तम्भ पर ध्वज की लंबाई 62.619 मीटर व चौड़ाई 40.608 मीटर होगी। इस ध्वज को फहराने के लिए हैवी ब्लोअर भी लगाए जाएंगे। इस ध्वज स्तम्भ के आधार का वृत 6.848 मीटर व चोटी का वृत 2.376 मीटर और इसकी नींव 30.174 मीटर गहरी होगी। इस स्तम्भ में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां व लिफ्ट दोनों होंगे।

बताते चलें कि भारत में फिलहाल सबसे ऊंचा ध्वज अमृतसर में अटारी बार्डर पर 360 फिट का स्थापित है जिसका डायमेंशन 120 गुणा 80 फिट है। उधर आधुनिक तकनीक से इस अनूठी कृति के रूप में ध्वज का निर्माण हाईक्लास ओवरसीज कंपनी, नई दिल्ली के आर्किटेक्टों ने किया है। इस कंपनी के प्रबंध निदेशक व सीईओ संदीप गर्ग ने इस नवीनतम कृति को सौंपने के श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय समेत संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजा है। उन्होंने बातचीत में बताया प्राचीनकाल में मंदिर का सनातन ज्ञान विशेष विज्ञान पर आधारित रहा है। यही कारण उस कालखंड एक से एक अजूबे निर्माण बिना संसाधनों के किए गये। फिर भी विडंबना है वर्तमान काल के आर्किटेक्ट व अभियंता वास्तुशास्त्र से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं और पत्थरों की नक्काशी तक ही सीमित हैं। ऐसे में देश के सबसे प्रतिष्ठित राम मंदिर के लिए नवोन्मेष का विचार आया।

 हाईक्लास ओवरसीज के एमडी गर्ग बताते हैं कि स्टेनलेस स्टील के इस ध्वज स्तम्भ में नीचे 32 व ऊपर 22 मिलीमीटर मोटी चादर लगाई गयी है। यह पूरी तरह से वातानुकूलित भी रहेगी। चारों ओर से बंद होने के कारण ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति के लिए ऑक्सीजन कनसैन्ट्रैटर भी लगाए गये हैं। ध्वज लगाने के लिए सबसे ऊपर दो मोटर हैं जो कम्प्यूराइज्ड है। ध्वज के रखरखाव के लिए लेजर लाइट व आप्टिकल फाइबर लाइट का प्रयोग किया गया है। ध्वज फहराने व अन्य कारणों से 7-8 इंच हिल सकता है, इसलिए अंदर लिफ्ट के बचाव के लिए आधुनिक डैम्पर का भी प्रयोग किया गया है। इसमें आकाशीय बिजली से बचाव का प्रावधान भी है। बाह्य दृश्यों को देखने के लिए अलग-अलग दिशाओं में 16 प्लेटफार्म भी बनाए गये हैं और ध्वज दस किमी. दूर से दिखाई देगा।

 

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