September 30, 2024

शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहा है जनजाति वर्ग

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भोपाल

प्रदेश सरकार जनजातीय वर्ग को विकास की मुख्य धारा से से जोड़ने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ संचालित कर रही है। इसमें आवासीय पट्टे, वनों पर अधिकार, रोजगार एवं स्व-रोजगार के लिये ऋण, प्रशिक्षण आदि शामिल हैं।

भूमिहीन वनवासियों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम-2006 के तहत भूमि का स्वामी बनाया जा रहा है। सागर जिले के विकासखण्ड केसली पंचायत रामखेरी के ग्राम कुकवारा के हितग्राही श्री निर्मल आत्मज श्री चंदन गौड़ को उनके द्वारा 35 वर्षों से काबिज वनभूमि 2.641 हेक्टेयर कृषि भूमि का पट्टा दिया गया। वहीं विकासखण्ड बण्डा ग्राम खेरवाह के हितग्राही श्री देवी सौर आत्मज श्री नंदू सौर को उनके द्वारा 25 वर्षों से काबिज वनभूमि 0.849 हेक्टेयर कृषि भूमि का पट्टा दिया गया है। सागर के ही केसली विकासखण्ड के ग्राम पठाकला के श्री हम्मीर आत्मज श्री धन सिंह गौंड को उनके द्वारा काबिज 2.60 हेक्टेयर वनभूमि का पट्टा दिया गया। इन हितग्राहियों की कृषि आय बढ़ाने के लिये कपिलधारा कूप से सिंचाई व्यवस्था का प्रबंध कर भूमि सुधार योजना के तहत खेत की मिट्टी को उपचारित करके उपजाऊ बनाया गया। अब इन वनवासी हितग्राहियों की स्थाई आजीविका सुविधाओं में विकास और विस्तार हुआ है और जीवन स्तर में सुधार आया है।

प्रदेश में अभी तक 2 लाख 70 हजार 956 से अधिक व्यक्तिगत एवं 29 हजार 996 सामुदायिक भूमि पट्टे दिये गये हैं, जबकि 24 हेबीटेट राइट्स प्रदान किये गये हैं।

पशुपालन से जुड़ कर जिंदगी हुई खुशहाल

सागर विकासखण्ड के ग्राम पड़रिया में लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को अध्यक्ष श्रीमती मुलाबाई के नेतृत्व में 283 निराश्रित गौवंश की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी। मनरेगा में शासकीय गौशाला भवन में इन पशुओं को आश्रय मिला। इस गौशाला ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं का जीवन संवार दिया। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, ईंटें, गौ-काष्ठ आदि का उत्पादन किया। साथ ही परम्परागत खेती के साथ-साथ सब्जी उत्पादन से आय में वृद्धि हुई।

वहीं देवरी विकासखण्ड के ग्राम गोपालपुरा की आदिवासी महिलाएँ मुर्गीपालन से 60 हजार सालाना अधिक आमदनी ले रही हैं। मुर्गीपालन के अलावा सब्जी और अन्य उद्यानिकी फसलों से आजीविका की सुविधाएँ बढ़ रही हैं। केसली विकासखण्ड के ग्राम सोनपुर के 150 अनुसूचित जनजातीय परिवारों ने देवश्री फार्म्स प्रोड्यूसर कम्पनी से जुड़ कर दुग्ध उत्पादन के माध्यम से आमदनी बढ़ाई है। अब इनके पास खुद के कृषि यंत्र और आमदनी के अतिरिक्त साधन हैं।

इसी प्रकार ग्राम हरदुली विकासखण्ड देवरी के 70 अनुसूचित जनजाति परिवारों में मुर्गीपालन से हुई आय से उनके जीवन में गुणात्मक सुधार आया है। यहाँ पर झाबुआ से लाये गये कड़कनाथ मुर्गों के चूजों को अलग से फार्म में पाला जाता है।

केसली विकासखण्ड में 3200 परिवार कृषि से, 2135 परिवार पशुपालन से, 20 परिवार अगरबत्ती से, 26 परिवार सेनेटरी नैपकिन और 260 परिवार सिलाई के काम से जुड़ कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। सागर जिले में अब तक 22 हजार 901 अनुसूचित जनजाति परिवारों को 1938 स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है। इन्हें 74 लाख 80 हजार रूपये रिवॉल्विंग फंड के रूप में और 149 लाख 54 हजार रूपये इन्वेस्टमेंट फंड के रूप में आजीविका मिशन ने जारी किया है।

आदिवासी उप योजना विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से आदिवासियों का जीवन हुआ खुशहाल

केन्द्र की आदिवासी उप योजना विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से आदिवासियों को कृषि संबंधी उन्नत उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इससे कृषि पैदावार में बढ़त और किस्म में सुधार होने से आमदनी बढ़ी है और जीवन में खुशहाली आई है।

सागर के केसली विकासखण्ड के ग्राम नारायणपुर के श्री विजय गौंड और ग्राम नारायणपुर के ही श्री हल्ले गौंड को स्प्रिंकलर के लिये 30 हजार रूपये दिये गए। साथ ही मनरेगा में कपिलधारा योजना के तहत कुआँ खनन कराया गया। सिंचाई सुविधा बढ़ने से कृषि की पैदावार में वृद्धि हुई है। सागर जिले के देवरी विकासखण्ड के ग्राम उमरखोह के श्री बेनी प्रसाद आत्मज श्री काशीराम को आदिवासी उप योजना के तहत सिंचाई उपकरण (डीजल पम्प) दिया गया, जिससे बेनीप्रसाद दो फसलें लेने लगे। अब वे रबी में गेहूँ और चना एवं खरीफ में सोयाबीन, उड़द और मूंगफली की फसल ले रहे हैं। श्री बेनीप्रसाद को मनरेगा में कपिलधारा योजना का भी लाभ दिलाया गया। सागर जिले के देवरी विकासखण्ड के श्री टीकाराम आत्मज सुक्के गौंड को उप योजना में सिंचाई उपकरण प्राप्त कर खेतों की पर्याप्त सिंचाई से भरपूर पैदावार ले रहे हैं। सागर के ही केसली तहसील के ग्राम नारायणपुर के ग्राम पंचायत चिरचिटा के श्री हरप्रसाद आत्मज श्री गोपाल गौंड को आदिवासी उप योजना से कृषि किट मिला, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।

वहीं मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग द्वारा जनजाति वर्ग के लगभग 68 हजार से भी अधिक हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं में लाभान्वित किया गया है।

विभिन्न शासकीय योजनाओं के माध्यम से जंगल और जमीन पर हक दिया जा रहा है। साथ ही रोटी, रोजी, मकान, स्वास्थ्य एवं पढ़ाई के बेहतर अवसर देकर विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है। साथ ही जनजातीय संस्कृति को सहेजकर समाज का गौरव बढ़ाया जा रहा है। जनजातीय समाज प्रदेश का अभिन्न हिस्सा और सशक्त वर्ग है।

 

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