सर्वेक्षण: गुजरात में कांग्रेस, दिल्ली में भाजपा निशाने पर
अहमदाबाद
भले ही गुजरात के चुनावी सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी की अच्छी स्थिति बताई जा रही है, लेकिन कोई सर्वेक्षण यह नहीं कह रहा कि भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। अलबत्ता भाजपा विरोधी विश्लेषक इतना भर कहते हैं कि आम आदमी पार्टी की स्थिति कांग्रेस से बेहतर होगी। यानि गुजरात में सत्ता के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए चुनाव लड़ रही है।
हिमाचल में वोटिंग वाले दिन मैं कुछ घंटों के लिए एक टीवी चैनल पर था, तो वहां कई पुराने विश्लेषकों से मुलाक़ात हुई। इनमें कुछ भाजपा के घोर विरोधी भी हैं, वे कभी नहीं चाहते कि भाजपा कहीं भी जीते। शुरूआत में वह यह कहने की कोशिश करते रहे कि भाजपा गुजरात में चुनाव हार रही है, लेकिन बाद में वह खुद ही कहने लगे कि आम आदमी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभर आएगी।
गुजरात में मोदी और भाजपा विरोधियों की अब यही आख़िरी उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी उत्तर भारत में कमजोर हो रही कांग्रेस का स्थान हासिल कर ले। 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी पंजाब में प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी थी, 2022 में उसने पंजाब में सरकार बना ली। आम आदमी पार्टी से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो रहा है, और भाजपा को कम। हालांकि नुकसान दोनों को हो रहा है। दोनों ही पार्टियां आम आदमी पार्टी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगा रही हैं, लेकिन केजरीवाल की मीडिया टीम इन दोनों राजनीतिक दलों पर भारी पड़ रही है।
हिमाचल में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के लिए मैदान को खुला छोड़ कर भाजपा-कांग्रेस में मुकाबला कड़ा बना दिया। दोनों तरफ से सत्ता में आने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन दोनों तरफ के दावे दबी जुबान से हैं। इसका मतलब है कि कांग्रेस और भाजपा में से कोई भी आश्वस्त नहीं है।
हिमाचल में चुनावी नतीजे कांग्रेस-भाजपा के लिए कड़ी टक्कर वाले आते हैं, तो साबित होगा कि 2024 में भाजपा के सामने साझा उम्मीदवार मुकाबले को दिलचस्प बना सकता है। गुजरात में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के लिए मैदान खुला नहीं छोड़ा, तो गुजरात के नतीजे भी 2024 के लोकसभा चुनाव का संकेत देंगे कि अगर विपक्ष भाजपा के सामने साझा उम्मीदवार खड़ा नहीं करता है तो अगली लोकसभा कैसी होगी।
दिल्ली नगर निगम के चुनाव हालांकि राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा मायने नहीं रखते, लेकिन यहाँ भाजपा की इज्जत दांव पर लगी है। 2017 में दिल्ली में केजरीवाल की सरकार होने के बावजूद भाजपा तीनों नगर निगम जीत गई थी। भाजपा को 181 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि आम आदमी पार्टी को 48 और कांग्रेस को 30 सीटों पर जीत मिली थी।
इस बार तीनों नगर निगमों को मिला कर एक कर दिया गया है, हालांकि आम आदमी पार्टी ने इस का विरोध किया था, लेकिन अब यह हो चुका है और 250 सीटों वाली दिल्ली नगर निगम के लिए 4 दिसंबर को वोट पड़ेंगे।