‘रेड लाइन पार ना करें’..ताइवान मसले पर बोले शी जिनपिंग, बाइडेन ने कहा, नहीं बदलेगा चीन!
चीन
भारी उतार-चढ़ाव के बीच इंडोनेशिया की राजधानी बाली में जी-20 समिट से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात आखिरकार हो ही गई। वार्ता के दौरान दोनों कद्दावर नेताओं के बीच यूक्रेन-रूस के बीच जारी जंग और परमाणु युद्ध से संबंधित विषयों पर चर्चा हुई। बाइडेन और शी जिनपिंग ने कहा कि परमाणु युद्ध कभी भी नहीं लड़ा जाना चाहिए। बैठक के बाद व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा कि, राष्ट्रपति बाइडेन ने चीन के समक्ष मानवाधिकार से जुड़े मसलों पर चर्चा की। साथ ही जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय पर गहन चर्चा हुई।
रेड लाइन क्रॉस ना की जाए, शी ने बाइडेन से कहा
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक में ताइवान के प्रति चीन की आक्रामक कार्रवाइयों पर आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने शिनजियांग, तिब्बत तथा हांगकांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंताओं को उठाया। शी ने बाइडेन से कहा, ताइवान का मुद्दा चीन के लिए बेहद अहम है। यह चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में रोड़ा बना हुआ है। अच्छे संबंध रखने के लिए ताइवान के मामले में रेड लाइन क्रॉस ना की जाए।
ताइवान मसले पर चीन सख्त
चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान का मसला केवल चीन तक सीमित है। वहीं, बाइडेन ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि, उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खुली, स्पष्ट बातचीत हुई है। हमने कई सारे मुद्दे उठाए। चीन वन चाइना पॉलिसी नहीं बदली है। मैंने सचिव ब्लिंकेन से दोनों देशों के बीच संचार की लाइनें खुली रखने के लिए चीन की यात्रा करने को कहा है।
परमाणु युद्ध संकट पर चर्चा
दोनों नेताओं ने कहा कि परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए और न ही इसे जीता जा सकता है, तथा यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या खतरे के प्रति अपने विरोध को रेखांकित किया।अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी। अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताइपे दौरे के बाद से चीन और अमेरिका के बीच ठनी हुई है। आज दुनिया की तमाम मीडिया इन सभी विषयों को कवर कर रही है। एक व्यापक चर्चा के दौरान बाइडेन ने ताइवान के प्रति चीन के आक्रामक रूख के बारे में चर्चा की। बता दें कि बीजिंग के इस कड़े कदम की वजह से ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ गए हैं। चीन का मानना है कि ताइवान उसका ही एक क्षेत्र है। जरुरत पड़ने पर वह बल का प्रयोग करके उसे अपने में मिला लेगा।