November 26, 2024

मध्यप्रदेश में भी लागू हुआ पेसा एक्ट, राष्ट्रपति ने जारी की नियमावली

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शहडोल
 जनजातीय गौरव दिवस (Tribal Pride Day) समारोह पर मध्य प्रदेश (MP) के जनजातीय समुदाय को बड़ा तोहफा दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi murmu) द्वारा शहडोल में पेसा एक्ट (MP PESA Act) लागू कर दिया गया है। उन्होंने भरे मंच से आदिवासियों का स्वागत करते हुए बिरसा मुंडा जयंती पर आदिवासियों को शुभकामनाएं भी दी।

बता दे कि आज बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया गया है। इसका लाभ डेढ़ करोड़ आदिवासियों को होगा। शिवराज सरकार द्वारा आदिवासियों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए इस कानून को लागू किया गया है।

पेसा एक में तीन प्रमुख बातों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। जमीन के अधिकार कानून में जमीन यानी भूमि का अधिकार मुख्य तौर पर सशक्त किया गया है। भूमि प्रबंधन कार्य का इतिहास में पहली बार दिया जा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में भूमि प्रबंधन अध्याय 4 के तहत आदिवासियों को और मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करेगा।

अनुसूचित क्षेत्रों में जो ग्राम सभा होगी, वहां पंचायती राज व्यवस्था को क्षेत्र की मिट्टी के कटाव जल संचय की व्यवस्था विभाग के माध्यम से करने के अधिकार प्राप्त होंगे। इसके अलावा जनजातीय इलाकों के ग्रामीण क्षेत्र में भू अभिलेख की ग्राम सभा होगी। ऐसे में आदिवासियों को इस वित्तीय वर्ष में नक्शा खसरा दिया जाएगा। इसके लिए जनजातीय वर्ग को तहसील के चक्कर नहीं लगाने होंगे। वहीं गांवों की जमीनों से संबंधित मामले को ग्राम सभा प्रस्ताव तैयार कर पटवारी को भेजेगी। जिसमें आवश्यकतानुसार पटवारी सुधार कर सकेंगे।

इस व्यवस्था के तहत गैर आदिवासी के नाम हुई जमीन को वापस दिलाने का अधिकार प्राप्त होगा। वहीं यदि किसी की जमीन नीलाम हो रही है तो ग्रामसभा इस जमीन को आदिवासी को वापस दिला सकेगी। आदिवासियों की आजीविका का बड़ा साधन जल है। अभी के नियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र के छोटे तालाब झील नदियां वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते थे। अब इस कानून के लागू होने के बाद इन क्षेत्रों के छोटे तालाब झील नदियां के लिए ग्राम सभाओं को जल प्रबंधन के अधिकार दिए जाएंगे।

इसके अलावा खनिज के टेंडर में भी अब जनजातीय महिला समूह की हिस्सेदारी होगी। जंगल में केवल पेड़ नहीं बल्कि गौण खनिज और लघु वनोपज आदिवासियों की आय का बड़ा जरिया है। इस कानून के लागू होते जनजातीय गांव के स्व सहायता समूह गांव के गौण खनिज के टेंडर में भाग ले सकेंगे। वहीं नीलामी में उन्हें पहली प्राथमिकता दी जाएगी।

 

 

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