निर्यात में सुस्ती के बावजूद निर्यातकों को राहत मिलने की उम्मीद कम
नई दिल्ली
वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के बीच घटे निर्यात को देखते हुए सरकार कारोबारियों को कोई फौरी राहत देने के मूड में नहीं है। इसके लिए सरकार न केवल एक-दो माह कारोबार के आंकड़ों का आकलन करेगी बल्कि लंबे समय के लिहाज से बजट में ही बड़े ऐलान कर सकती है। सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक अभी सरकार न केवल नवंबर के आकंड़ों का इंतजार कर रही है बल्कि उसे यह भी लग रहा है कि आने वाले दिनों में वैश्विक परिस्थितियों की तस्वीर ज्यादा साफ होने के बाद ही कोई कदम उठाना ठीक रहेगा। और उठाए गए कदमों का असर लंबे समय तक टिकाऊ होगा। वहीं, सरकार आने वाले कुछ महीनों में आयात और निर्यात के जरिए होने वाली कमाई के आंकड़ों को देखते हुए बजट में ही इस बारे में कोई बड़ा ऐलान कर सकती है।
स्टील-रसायन पर शुल्क कटौती की मांग
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक कारोबारियों को स्टील, लौह अयहस्क समेत प्रमुख कच्चे माल और इंटरमीडियरी गुड्स पर लगने वाली ड्यूटी में छूट के लिए फिलहात कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। उद्योग जगत ने हाल ही में सरकार से स्टील, आयरन ओर, कच्चे माल, स्पेशियालिटी केमिकल समेत कई चीजों पर ड्यूटी में कटौती की मांग की है।
लागत बढ़ने से अन्य देशों से पिछड़ने की आशंका
उद्योग जगत का कहना है कि अगर ड्यूटी घटाने पर जल्दी कोई फैसला नहीं लिया गया तो इन चीजों की लागत बढ़ जाएगी और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी नहीं जाएंगे। वहीं आने वाले महीनों में इनका निर्यात और घट सकता है।
रिजर्व बैंक से दखल की उम्मीद
कारोबारियों की यह भी मांग है कि बढ़ती ब्याज दरों और मौजूदा दौर में घटते निर्यात को देखते हुए रिजर्व बैंक को दखल देने की जरूरत है और आरबीआई को एक्सपोर्ट क्रेडिट रीफाइनेंसिंग सुविधा शुरू करनी चाहिए। रिजर्व बैंक दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में इस बारे में कुछ विचार कर सकता है।