November 27, 2024

मंत्री उषा ठाकुर की बढ़ी मुसीबत ‘दुष्कर्मियों को चौराहे पर टांग दो’ बयान पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया,15 दिन में जवाब मांगा

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भोपाल

मध्य प्रदेश की पर्यटन और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर की मुश्किलें बढ़ सकती है। मानवाधिकार आयोग ने मंत्री के बयान पर संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से 15 दिन में जवाब मांगा है। मंत्री ने दुष्कर्मियों को चौराहे पर फांसी देने और अंतिम संस्कार न होने देने की वकालत की थी। उन्होंने तो यह भी कहा था कि दुष्कर्मियों को फांसी पर लटकाकर छोड़ देना चाहिए ताकि चील-कौएं उन्हें नोंच-नोंचकर खाएं।

 
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने 13 नवंबर को इंदौर जिले के डॉ. अम्बेडकर नगर (महू) में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दुष्कर्मियों को बीच चौराहे पर लटकाकर फांसी देने की वकालत की थी। मंत्री ने कहा था कि उन्हें ऐसे लटके हुए छोड़कर उनका अंतिम संस्कार भी न किये जाने और उनके शव को चील-कौओं को नोंचकर खाने के लिए छोड़ने की वकालत की थी। मंत्री ने साथ ही यह भी कहा था कि ऐसे दुष्कर्मियों के कोई मानवाधिकार नहीं होते हैं और यदि मानवाधिकार आयोग हस्तक्षेप करे, तो उसकी कोई चिन्ता न करें।

 
आयोग ने 15 दिन में मांगा जवाब
मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री के कथन पर संज्ञान लेकर मुख्य सचिव से 15 दिन में जवाब मांगा है। आयोग के सदस्य ने यह भी कहा है कि प्रतिवेदन राज्य शासन के किसी जिम्मेदार अधिकारी के जरिये ही दें, जिससे शासन की गंभीरता पर भी विचार किया जा सके। आयोग ने यह पाया कि शासन में मंत्री स्तर के सम्मानजनक पद पर रहते हुये मंत्री ठाकुर द्वारा भारतीय संविधान की मूल भावना और मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु गठित मानवाधिकार आयोग जैसी संस्था के विरुद्ध दिया गया बयान अनुचित एवं आपत्तिजनक है। मंत्री के ऐसे पद पर संवैधानिक शपथ लेकर ही कार्य किया जा रहा है और शपथ में स्पष्ट है कि वे विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची सत्यनिष्ठा रखेंगी और सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि अनुसार न्याय करेंगी।
 
 लोक सेवक से यह बयान अपेक्षित नहीं
आयोग ने मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए स्थापित वैधानिक संस्थाओं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग के संबंध में उषा ठाकुर के बयान को अनुचित और अप्रासंगिक टिप्पणी माना है। उसने कहा कि एक लोकसेवक से ऐसा कथन अपेक्षित नहीं है। आयोग ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को प्रकरण की जांच कराकर सार्वजनिक पद पर पदस्थ रहते शासन की मंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य के संदर्भ में मध्यप्रदेश शासन की ओर से स्थिति स्पष्ट करते हुए 15 दिन में प्रतिवेदन देने को कहा है,  जिससे उसी अनुरूप अग्रिम कार्यवाही की जा सके।   

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