नर्मदा प्रदूषण की तथ्यात्मक सत्यापन करने पहुंची एनजीटी द्वारा गठित जाँच टीम
अधिवक्ता सम्यक जैन, मनन अग्रवाल एवं धीरज तिवारी ने एनजीटी में दर्ज कराया था मामला
डिंडोरी जिला मुख्यालय के मुख्य घाटो मे मिल रहे नालो के पानी से प्रदूषित हो रही जीवन दायनी का जल जिसकी शिकायत करते हुए मामला दर्ज नव युवक अधिवक्ताओ के द्वारा सराहनीय पहल किया गया था जिस मामले की जांच के लिए एनजीटी ने टीम गठित कर एक माह मे तथ्यात्मक सत्यापन कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
डिंडौरी
नगर की 8,9 गंदे नालियों के माध्यम से जल – मल और निस्तार निकासी की गंदगी सीधे माँ नर्मदा में प्रवाहित हो रही हैं,जिससे लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। जिसको लेकर ,अधिवक्ता सम्यक जैन,मनन अग्रवाल एवं धीरज तिवारी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण में याचिका दायर कर ठोस कदम उठाने की मांग किया था,मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने नर्मदा प्रदूषण की वर्तमान में स्थिति की तथ्यात्मक सत्यापन करने हेतु सात सदस्यीय टीम गठित कर एक माह के भीतर रिपोर्ट तलब किया था।
प्रदूषण की तथ्यात्मक सत्यापन हेतु 17 नम्बर को किया जाना तय किया गया था, कल सत्यापन करने पहुँचे जाँच दल ने लंबित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एवं एसटीपी यूनिट,सेग्रिगेशन प्लांट,नर्मदा में मिल रही गंदी नालियों का निरीक्षण किया, उन्होंने लगातार बढ़ रही प्रदूषण को लेकर जिम्मेदारों को फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई है। याचिकाकर्ता ने जाँच दल को बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य 2017 में शुरू किया गया था जिसके लिए लगभग 32 करोड़ रुपये स्वीकृत भी किया गया था, किन्तु ठेकेदार के द्वारा मनमानी पूर्वक नगर की सड़कों की खुदाई की गई और अमानक स्तर के पाइपलाइन डालने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि मुख्य नाली जिसमे सभी घरों के जल मल की निकासी होना है, इतने कम साइज की पाइप से आखिर कैसे हजारों घरों के निकासी होगा। उन्होंने कहा कि घरों से मुख्य नाली को जोड़ा नही गया है ऐसे में यह योजना औचित्यहीन साबित होगी।