जानिए क्या है योगी सरकार की नई खेल नीति-2022, खिलाड़ियों को किस तरह से मिलेंगी सुविधाएं
लखनऊ
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए हर संभव कदम उठाने का प्रयास कर रही है। इसीलिए अब सरकार यूपी की नई खेल नीति बनाने की कवायद में जुटी है। इसीलिए अब इस बहुप्रतीक्षित खेल नीति का इंतजार सभी को है। इस प्रस्ताव को पांच दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। अधिकारियों की माने तो नई खेल नीति का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के एथलीटों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आर्थिक रूप से मदद करने के अलावा उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके ओलंपिक खेलों में अधिक पदक जीतने की संभावना को बढ़ाना है।
विधानसभा में पेश होगा नई खेल नीति का मसौदा
राज्य के खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने गुरुवार को घोषणा की कि नीति को 5 दिसंबर से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। खेल नीति के अंतिम मसौदे पर सभी राज्य खेल संघों, महासंघों और उत्तर प्रदेश ओलंपिक संघ सहित सभी हितधारकों के सुझावों और सिफारिशों पर गुरुवार को एक बैठक में चर्चा की गई। यह नीति खेल कौशल में एक नए युग की शुरुआत करेगी और यूपी को देश में एक चैंपियन राज्य का दर्जा दिया जा सकता है। इससे राज्य को अपने खेल इको सिस्टम को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।
कैबिनेट की मंजूरी से पहले दूर होंगे सारे भ्रम
कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजे जाने से पहले सभी सुझावों एवं संशोधनों को अंतिम नीति में विधिवत शामिल किया जाएगा। राज्य सरकार राज्य में खेलों के विकास और खिलाड़ियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खेल नीति जरूरी थी और पिछले कई वर्षों से इस पर चर्चा हो रही थी। लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार इसे तैयार करे। उ0प्र0 खेल नीति-2022 खेल प्रोत्साहन एवं विकास को नेता के रूप में स्थापित करने के लिए बनाई गई है।
खेल के बुनियादी ढांचे को मजूबत करने के लिए निजिकरण का सहारा
वास्तव में, नीति का अंतिम मसौदा राज्य में खेल और खेल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की कवायद ही है। तत्कालीन खेल मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फराजा भैया ने पहली बार 2004 में चीन और अन्य बड़े खेल राष्ट्रों की तर्ज पर खेल के बुनियादी ढांचे के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था। अतिरिक्त मुख्य सचिव (खेल) नवनीत सहगल ने गुरुवार को कहा कि, "समय आ गया है जब हमें खेल और खेल के बुनियादी ढांचे के निजीकरण के बारे में सोचने की जरूरत है क्योंकि इससे न केवल राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी संख्या में पदक विजेता बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य के खेल संघों और संघों को भी अनुमति मिलेगी।
खिलाड़ियों के समग्र विकास के लिए बनेगा 100 करोड़ का वित्तिय कोष
सहगल ने यूपीओए के महासचिव आनंदेश्वर पांडे सहित सभी हितधारकों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे भारतीय कुश्ती महासंघ जैसे निजी खिलाड़ियों की मदद से विभिन्न सरकारी खेल बुनियादी ढांचे को चलाने की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे आएं। जेएसडब्ल्यू की मदद ले रहा है, जो विभिन्न विषयों में भारतीय एथलीटों की मदद कर रहा है। सहगल ने कहा, "हमने पहले ही डब्ल्यूएफआई के लोगों को उत्तर प्रदेश में अपने स्वयं के केंद्र स्थापित करने के लिए विभिन्न सरकारी स्थानों के बारे में बता दिया है और सरकार राज्य में कुश्ती के विकास के लिए उन्हें पूरा समर्थन देने के लिए तैयार है।" इस नीति के माध्यम से खेल और खिलाड़ियों के समग्र विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रारंभिक कोष स्थापित किया जाएगा।
हर जिले में स्टेडियम बनाने की होगी पहल
वर्तमान में, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों सहित उत्तर प्रदेश में लगभग 30 हजार खेल के मैदान हैं और इस नीति का लक्ष्य इसे बढ़ाकर 60 हजार करना है। साथ ही प्रस्तावित नीति में कई नए प्रावधान भी किए गए हैं। इसके तहत निजी खेल अकादमियों को भी वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। खेल महाविद्यालयों में बच्चों का चयन समिति के माध्यम से कराने का प्रावधान नीति में किया गया है। नई खेल नीति के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य और देश का प्रतिनिधित्व करने वाले एथलीटों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण के लिए अगले पांच वर्षों में कम से कम 14 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।