बुरकापाल केस में 121 आदिवासियों की रिहाई सरकार के प्रयास का नतीजा
सुकमा
जिला पंचपयत अध्यक्ष हरीश कवासी ने कहा कि बुरकापाल मामले में दोषमुक्त हुए 121 आदिवासियों की रिहाई सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा बस्तर के जेलों में बंदी निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर किए जा रहे प्रयासों का ही नतीजा है। इससे पहले भी आबकारी, वन व नक्सल प्रकरण के मामले में प्रदेश भर के लगभग 12 सौ निर्दोष आदिवासियों को रिहा किया जा चुका है। गंभीर नक्सली प्रकरण में जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए सरकार कई तरह से प्रयास कर रही है, उन्हें जरूरी कानूनी मदद देने के अलावा फर्जी नक्सली प्रकरणों के ट्रायल में तेजी लाने के लिए सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए गए हैं।
हरीश कवासी ने कहा कि बुरकापाल मामले में एनआईए की स्पेशल कोर्ट से 121 आदवासियों की रिहाई के बाद भाकपा नेता मनीष कुंजाम का बयान जारी कर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की दिशा में किसी तरह का प्रयास नहीं करने का आरोप लगाना पूरी तरह से गलत है। गंभीर नक्सली प्रकरण में जेल में बंद निर्दोष आदिवासी की निश्चित कानूनी प्रक्रिया के बाद ही रिहाई होगी। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल में फर्जी नक्सली प्रकरण में जेल में बंद आदिवासियों को रिहा करने लगातार काम कर रही है। आने वाले दिनों में और भी निर्दोष आदिवासियों की जेल से रिहाई होगी।
हरीश कवासी ने कहा कि भाजपा के शासन में बस्तर के हजारों आदिवासियों को फर्जी नक्सली केस में फंसाकर उन्हें जेल भेज दिया गया। फोर्स को देखकर आदिवासी पुरुष पहाड़ों व जंगलों में भाग जाते थे, साप्ताहिक बाजार-हाट में सिर्फ महिलाएं ही दिखती थीं। जेल जाने के डर से हजारों आदिवासी अपना घर, खेत व मवेशी छोड़ बस्तर से देश के दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हुए। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद अब नक्सलियों के नाम पर आदिवासी प्रताड़ित नहीं किए जा रहे हैं। तत्कालीन भाजपा सरकार में बस्तर के प्रभारी मंत्री रहे केदार कश्यप को फर्जी नक्सली प्रकरण में आदिवासियों को जेल भेजने के लिए सार्वजनिक रूप से आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए।