रीवा, सतना में बाणसागर परियोजना से सिंचाई सुविधाएं बढ़ेंगी
भोपाल
मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में रीवा , सतना जिले के किसानों के लिए नये साल की सबसे बड़ी खुशखबरी आई है ।बाण सागर बहुउददेश्यीय सिंचाई परियोजना के तहत बहुती नहर परियोजना का सबसे अहम काम पूरा हो गया है । इसके लिए लघु सुरंग बनाने में बड़ी सफलता मिली है । इस सुरंग को दोनों तरफ से मिलाने के लिए जरुरी डे ब्रेकिंग या सुरंग मिलान का काम विगत दिनों पूरा कर लिया गया ।
अब केवल एक-डेढ़ महीने के अंदर ही इससे पानी का वितरण किया जा सकेगा । इस परियोजना के पूरा होने पर रीवा जिले की पांच तहसीलों और सतना जिले की दो तहसीलों के करीब 65 हजार हेक्टेयर जमीन तक पानी पहुंचेगा । इससे विंध्य क्षेत्र में कृषि उत्पादन बढ़ेगा । लगभग तीन लाख किसानों को इसका फायदा मिलेगा , उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
नई टनल से पानी का प्रवाह भी पहले की अपेक्षा ज्यादा होगा ।इस बारे में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बाणसागर बांध का पानी बहुती नहर परियोजना में पहुंचाने के लिए छुहिया घाटी गोविंदगढ़ में बनाई जा रही जल सुरंग का निर्माण कार्य का अहम हिस्सा यानी नहर के दोनों तरफ से पानी के लिए डे ब्रेकिंग का काम पूरा हो गया है ।अब बाकी नहर में विस्तार और निकास के बाकी काम जल्दी ही पूरे करके पानी के वितरण को संभव बनाया जा सकेगा।उल्लेखनीय है कि इस परियोजना को पूरा करने में बहुत सी समस्याएं थी जिनका समाधान आपसी समन्वय और तकनीक से किया गया ।
परियोजना के तहत केवती और पुरवा नहर के जरिये ऊंचाई के इलाकों तक सिंचाई की सुविधा देने का लक्ष्य रखा गया है। इस काम को सिंचाई परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मानी जाने वाली कंपनी मंटेना के तहत मंटेना बहुती संयुक्त परियोजना के द्वारा किया गया है।मंटेना के इंजीनियरों के मुताबिक उनके पास ऐसी टनल बनाने की सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध है, जो कम से कम समय में टनल निर्माण कर सकता है । इस परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार इस सुरंग का काम बहुत कठिन था । छुइया घाटी का पहाड़ हार्डराक और मिटटी का बना है ।
खुदाई के दौरान कई जगहों पर तो कड़ी चटटान थी तो कहीं पर मिटटी थी। ऐसे में अत्याधुनिक बूमर मशीन का इस्तेमाल किया गया ।पूरी सावधानी और सुरक्षा के साथ ही सुरंग को आर- पार निकाला गया ।ये सुरंग करीब 7.2 मीटर डायमीटर की होगी ।सुरंग के साथ ही नहरों को बनाने का काम भी नब्बे प्रतिशत से ज्यादा हो गया है । अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ माह के बाद इसमें पानी छो़ड़ा जा सकेगा । इससे विंध्य क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं बढ़ेंगी । बाणसागर परियोजना के इस विस्तार से केवल रीवा और सतना जिले ही नहीं पूरे विंध्य क्षेत्र क्षेत्र की समाजिक , आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
इस बारे में परियोजना से जुड़े अधीक्षण यंत्री सीएम त्रिपाठी ने बताया कि खुदाई का काम पूरा हो गया है । जून तक लाइनिंग हो जाएगी और अगले रबी सीजन तक किसानों को पानी देने में सक्षम हो जाएंगे । उन्होंने बताया कि पहले इसे बाणसागर बांध के जिना गांव के पास प्रस्तावित किया गया था। इसमें से करीब 14 किलोमीटर की नहर के साथ 45 क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जाना था। सर्वे के दौरान अलाइनमेंट में बदलाव की जरुरत महसूस की गई और नयी डिजाइन के साथ प्रस्ताव दिया गया।
इसमें सतना जिले के रामनगर तहसील के गुलवार गुज्जर गांव से नहर का मुख्य प्रवाह बनाने को मंजूरी दी गयी ।इसके साथ ही नहर का विस्तार करीब 18 किलोमीटर तक कर दिया गया ।करीब चार किलोमीटर की सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया। इस नये प्रस्ताव के कारण पानी का प्रवाह भी दस लाख क्यूबिक मीटर तक बढ जायेगा।यहां यह बताना जरूरी होगा कि जब गर्मी के मौसम में बाणसागर परियोजना में पानी का स्तर कम हो जाता है , उस समय भी नहर में प्रवाह बनाये रखने के लिए आमघोरी रामादीन गांव के पास एक फीडर पंप भी लगाया जा रहा है ।
इसके कारण नहर और सुरंग सहित करीब 21 किलोमीटर तक पानी का प्रवाह 54 लाख क्यूबिक मीटर बना रहेगा ।बाणसागर बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना रीवा – सतना जिले में ही नहीं पूरे विंध्य क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई है ।इससे रीवा संभाग के सभी जिलों में खेती को उन्नत बनाने तथा फसलों का उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस परियोजना से रीवा जिले में विकसित रकबे का दुगना क्षेत्रफल विकसित होगा । अब तक जिले के 1.5 लाख एकड़ में ही सोन नदी का पानी पहुंचा है ।
लगभग 3.87 लाख एकड़ में पानी पहुंचाने की चुनौती अभी बाकी है ।रीवा जिले में नईगढ़ी तथा मऊगंज क्षेत्र के किसानों को बाणसागर के पानी का पूरा लाभ अब तक नहीं मिला था। इस कमी को दूर करने के लिए नईगढ़ी नहर का निर्माण किया जा रहा है ।इसके साथ ही त्योंथर एवं बहुती नहर का निर्माण किया जा रहा है ।जल संसाधन विभाग के विशेषज्ञों का दावा है कि सिंचाई की सुविधा बढ़ने से किसानों की तकदीर बदल जायेगी। खेती को उन्नत बनाने तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के अवसर भी बढ़ जाएंगे।