गुजरात में मोदी मैजिक के सहारे BJP, हर जिले में प्रचार कराने की तैयारी
नई दिल्ली
गुजरात में अपनी सत्ता बरकरार रखने के साथ सबसे बड़ी जीत की कोशिशों में जुटी भाजपा इस विधानसभा चुनाव में पिछली बार से भी ज्यादा ताकत झोंक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बार ज्यादा सभाएं कर सकते हैं। पार्टी की कोशिश प्रधानमंत्री की सभी 33 जिलों में सभाएं कराने की है। भाजपा पहले ही दोनों चरणों के प्रचार की शुरुआत अपने मेगा अभियान से कर चुकी है, जिसमें उसने एक साथ सभी सीटों पर अपने प्रमुख नेताओं को उतारा है।
गुजरात के चुनाव प्रचार में भाजपा ने देश भर के अपने प्रमुख नेताओं को उतारा है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के अधिकांश मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यों के मंत्री, केंद्रीय पदाधिकारी और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। यह संख्या इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के साथ भाजपा का गढ़ भी है, जहां वह बीते 27 साल से सत्ता में है।
हर जिले में पीएम मोदी की सभा की मांग
सूत्रों के अनुसार राज्य में मोदी की मांग हर जिले से आ रही है। मोदी भी पूरा समय राज्य को दे रहे हैं। वह इस बार पिछली बार (लगभग दो दर्जन) से भी ज्यादा सभाएं कर सकते हैं। राज्य में 33 जिले हैं और वह इस बार कम से कम ढाई दर्जन जिलों में प्रचार करने जा सकते हैं और हर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को समूहों में संबोधित कर सकते हैं। मोदी के साथ अमित शाह, जे. पी. नड्डा, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, योगी आदित्यनाथ, नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस आदि नेताओं के जरिए भाजपा हर विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचेगी।
नया रिकॉर्ड बनाने का रखा लक्ष्य
दरअसल भाजपा को बीते चुनाव में राज्य में झटका लगा था और वह 182 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत (92) से कुछ ही आगे 99 सीटें ही जीत सकी थी। ऐसे में पार्टी इस बार काफी सतर्क है। साथ ही वह अपनी पिछली जीत का रिकॉर्ड भी तोड़ने की कोशिश में है। भाजपा ने 2002 में 127 सीटें जीती थीं, जो उसकी अब तक की सबसे बड़ी जीत रही है। इस बार पार्टी 150 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में हर विधानसभा और हर बूथ पर उसने पूरी चाक चौबंद तैयारी कर रखी है।
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी की दस्तक से भी माहौल गरमाया हुआ है। भाजपा को ऐसे में कांग्रेस के साथ विपक्ष की एक और चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि भाजपा के चुनाव प्रबंधकों का कहना है कि इससे भाजपा विरोधी वोट दो खेमों में बंटेगा और उसे लाभ मिलेगा। खतरा यह भी है आम आदमी पार्टी कहीं विपक्ष का प्रमुख चेहरा न बन जाए और वह कांग्रेस की जगह खुद को भाजपा के विकल्प में रूप में जनता में अपनी जगह न बना ले।