November 27, 2024

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी- सभी सरकारों ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया

0

नई दिल्ली 
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि सरकारों ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि 1996 के बाद से सरकारों ने किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त को नेतृत्व करने के लिए पूरे छह साल का कार्यकाल नहीं दिया है। संविधान पीठ ने इस बात को लेकर अफसोस भी जताया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में कानून की अनुपस्थिति एक खतरनाक ट्रेंड है।

पांच जजों की पीठ ने कहा है कि सीईसी और चुनाव आयुक्तों को कैसे चुना जाए, इस पर संविधान की चुप्पी का सभी राजनीतिक दलों द्वारा शोषण किया गया है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "यह परेशान करने वाली प्रवृत्ति है। टीएन शेषन 1990 और 1996 के बीच छह साल के लिए सीईसी थे। उसके बाद अब तक किसी भी व्यक्ति को पूरा कार्यकाल नहीं दिया गया है। सरकार जानबूझकर ऐसे सीईसी को नियुक्त करती है जिसे अपना पूरा छह साल नहीं मिले। चाहे वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार हो या फिर वर्तमान एनडीए की सरकार, यह एक प्रवृत्ति रही है।"

पीठ ने आगे कहा, "इससे तथाकथित स्वतंत्रता सिर्फ जुमलेबाजी साबित होती है। इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। कोई भी उनसे सवाल नहीं कर सकता। संविधान की खामोशी का फायदा उठाया जाता है। इनकी नियुक्ति में कोई कानून नहीं है, कोई रोकने वाला नहीं है। हर किसी ने इसे अपने हित में इस्तेमाल किया है। किसी को उठाओ और उसे बहुत छोटा सा कार्यकाल दे दो।" इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ऐसे लोगों को नियुक्त करता है जो न्यायाधीशों को जानते हैं और उनके सामने पेश होते हैं। पिछले एक महीने में अलग-अलग मौकों पर रिजिजू ने कॉलेजियम प्रणाली को अपारदर्शी करार दिया और भारतीय चयन प्रणाली को एकमात्र ऐसा बताया है जहां न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।

आपको बता दें कि पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 324 (2) के तहत सकारात्मक जनादेश और 1990 में दिनेश गोस्वामी समिति द्वारा ईसीआई के लिए अधिक स्वतंत्रता की शुरुआत करने की सिफारिशों के बावजूद संसद ने कानून बनाने पर कार्रवाई नहीं की है। वर्तमान में ECI तीन सदस्यीय निकाय है। इसमें एक CEC और दो EC हैं। संविधान के अनुच्छेद 324(2) के तहत राष्ट्रपति को सीईसी और ईसी नियुक्त करने का अधिकार है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर काम करते हैं। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *