State Border Disputes: महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद क्यों, किन-किन राज्यों में है सीमा विवाद?
कर्नाटक
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के समाधान की पहल करेंगे। मुख्यमंत्री शिंदे ने सीमा विवाद मामले के समन्वय हेतु महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्रियों – उच्च शिक्षामंत्री चंद्रकांत पाटिल और राज्य उत्पादन शुल्कमंत्री शंभूराज देसाई को जिम्मेदारी दी है। साथ ही, राज्य सरकार ने कानूनी मदद के लिए कानूनी विशेषज्ञ वैद्यनाथन को भी नियुक्त किया है। उधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी कहा है कि वे सीमा विवाद को हल करने के लिए अधिवक्ताओं की एक मजबूत टीम बना रहे है। वे इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए तैयार है। खबरों के मुताबिक सरकार ने अपनी टीम में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, श्याम दीवान, कर्नाटक के पूर्व महाधिवक्ता उदय होला और मारुति जिराले को शामिल किया है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद आज का नही बल्कि आजादी के समय से चला आ रहा है। यह विवाद बेलगांव या बेलगावी शहर के इर्द-गिर्द घूमता है। बेलगांव आज के समय में कर्नाटक का हिस्सा है लेकिन आजादी से पहले यह बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था। इसी वजह से महाराष्ट्र बेलगांव पर अपना दावा ठोकता है। इसमें कुल 7,000 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्र है, जिसमें 814 गाँव शामिल है। इस इलाके की 6.7 लाख की आबादी है। साल 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने बेलगाम और बॉम्बे प्रेसिडेंसी के 10 तालुकों को तत्कालीन मैसूर राज्य का हिस्सा बना दिया जोकि वर्तमान कर्नाटक है। राज्य आयोग ने इस आधार पर इस क्षेत्र को मैसूर को दिया क्योंकि वहां उस समय 50 प्रतिशत से ज्यादा कन्नड बोलने वाले लोग थे। किंतु विशेषज्ञों का मानना है कि उस समय में वहां पर 50 प्रतिशत से भी ज्यादा मराठी बोलने वाले लोग थे।
इस पूरे मामले का शांति से हल करने के लिए अक्टूबर 1966 में भारत सरकार ने महाजन कमीशन का गठन किया जिसकी अध्यक्षता मेहरचंद महाजन कर रहे थे और उन्होंने अगस्त 1967 में अपनी रिपोर्ट पेश की। महाजन कमीशन की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि 264 गांव महाराष्ट्र को दिए जाने चाहिए और 247 गांव कर्नाटक के पास रहने देने चाहिए। कर्नाटक ने महाजन कमीशन की रिपोर्ट को समर्थन दिया लेकिन महाराष्ट्र ने इसे मनाने से इंकार कर दिया।
वर्ष 2004 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने सुझाव दिया कि आपसी बातचीत के माध्यम से इस मसले का हल किया जाना चाहिए और भाषाई मानदंड पर विचार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे अधिक व्यावहारिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अभी भी यह मामला लंबित है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा भी भारत में ऐसे कई राज्य है जिनका अपने पड़ोसी राज्यों से सीमा विवाद चल रहा है। आइए जानते है उन राज्यों के बीच सीमा विवाद के कारण।