कला उत्सव में दिखी मध्यप्रदेश के लोक नृत्यों की बहुरंगी झाँकी
भोपाल
स्कूल शिक्षा विभाग के सातवें राज्य स्तरीय कला उत्सव में आज भोपाल में लोक नृत्य, लोक गीत एवं चित्रकला, मूर्तिकला और खेल-खिलौने की प्रतियोगिताएँ दूसरे दिन भी जारी रही। सीधी की श्वेता साहू द्वारा प्रस्तुत बधाई नृत्य ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। इसी श्रंखला में शहडोल के शिवम ने बैगा जनजाति का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। पूर्वी कुलकर्णी ने सितार वादन किया। भुमि शर्मा के मालवी लोकगीत 'प्यारो लागे मारो मालवा देश' ने सभी दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कला उत्सव में मध्यप्रदेश के प्रतिभागियों ने कला, संस्कृति के मंच पर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। संयुक्त संचालक अरविंद चोरगढ़ी द्वारा सभी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। शास्त्रीय गायन एकल वर्ग में जबलपुर के मोहित परोहा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। बालिका वर्ग में रीवा संभाग की राखी द्विवेदी प्रथम रही। सितार वादन में उर्वी कुलकर्णी प्रथम रही और तबला वादन में आस्था घाटके ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
लोक नृत्य में शहडोल के शिवम, सीधी की श्वेता साहू एवं तबला वादन में समर शर्मा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। शास्त्रीय नृत्य में बालिका वर्ग में अधीरा पीवी प्रथम रही। खेल-खिलौने विधा में जबलपुर संभाग के दिनेश विश्वकर्मा प्रथम स्थान पर रहे, वही रिमझिम दत्ता ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। चित्रकला में उत्कृष्ट विद्यालय उज्जैन की छात्रा आध्या द्विवेदी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। एकल अभिनय में जबलपुर संभाग के आनंद कौरव एवं बालिका वर्ग में भोपाल संभाग की नम्रता श्याम प्रथम रही। 2 दिन चली इन प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान पर चयनित सभी 20 प्रतिभागी माह जनवरी 2023 में एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कला उत्सव में सहभागिता करेंगे।
मूर्तिकला चित्रकला एवं खिलौने विधा में कई बच्चों ने मध्यप्रदेश के लकड़ी के खिलौने, अलीराजपुर झाबुआ की गुड्डे-गुड़िया, मंडला की गोंड चित्रकला एवं निमाड़ की सांझी पुली सहित कई लोक कलाओं की प्रस्तुति दी। मध्यप्रदेश के स्थानीय खेल-खिलौने विधा में सभी बच्चों ने बचपन में खेले गए खेलों में उपयोग की गई खिलौना गाड़ी, घोड़ा गाड़ी बना कर अपनी कला का प्रदर्शन किया। प्रोफेसर भावसार ने सभी बच्चों को मूर्तिकला एवं चित्रकला के बारे में बारीकी से समझाया और यह बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में लोक कलाओं एवं प्रदर्शनकारी कलाओं पर महत्व दिया गया है। आगामी वर्षों में पाठ्यक्रम में इन कलाओं को स्थान दिया जाएगा। कला उत्सव से किसी भी प्रदेश की विलुप्त होती कलाओं को मंच दिया जाता है, साथ ही उस प्रदेश के बहुरंगी लोक नृत्य, लोक कलाएँ और ऐसी कला जो अब प्रचलन में नहीं है उनको मंच दिया जाता है। पिछले कई वर्ष से इस क्रम में मध्यप्रदेश के विद्यार्थी अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी अतिथियों का आभार माना गया। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण द्वारा जनवरी माह में भुवनेश्वर में होने वाली राष्ट्रीय कला उत्सव के लिए सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दी।