November 12, 2024

रसायन क्षेत्र में पीएलाई से मिलेंगे बंपर रोजगार, बजट में 10 हजार करोड़ का हो सकता है ऐलान

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नई दिल्ली 

इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की सफलता से सरकार उत्साहित है। सूत्रों का कहना है कि सरकार आगामी बजट में रसायन एवं पेट्रोरसायन क्षेत्र के लिए भी 10 हजार करोड़ रुपये की पीएलआई का ऐलान कर सकती है। इससे इस क्षेत्र में भारी मात्रा में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि सरकार गंभीरता से इस क्षेत्र के लिए पीएलआई पर काम कर रही है। शुरुआती योजना के तहत सरकार उच्च आयात मूल्य वाले मध्यवर्ती रसायनों को प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया और राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने पहले संकेत दिया है कि सरकार के पास रसायन क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना है। केंद्र ने 2007 में समर्पित पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोकेमिकल निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) स्थापित करने के लिए एक नीति अपनाई थी, हालांकि, पहल निवेशकों को आकर्षित नहीं कर सकी।

सरकार अब पीसीपीआईआर नीति दिशानिर्देशों पर भी फिर से काम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार का लक्ष्य इस क्षेत्र में उत्पाद को बढ़ाकर तीन गुना करना है। सरकार की तैयारी है कि वर्ष 2040 तक घरेलू स्तर पर उच्च् आयात मूल्य वाली प्रमुख सामग्रियों का निर्माण हो। रसायन विभाग ने प्रस्ताव दिया है कि योजना के तहत चुनिंदा कंपनियों को शुरुआती स्तर पर उनकी वृद्धिशील बिक्री पर 10 से 20 फीसदी तक प्रोत्साहन जाए। योजना में 50 विशिष्ट रसायनों की पहचान की गई है जिनका उपयोग आगे प्रमुख उद्योगों में किया जाता है।

क्यों अहम है यह क्षेत्र
भारत का पेट्रोरसायन उद्योग वस्त्र उद्योग सहित कई उद्योगों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक्स प्रदान करता है। कागज, पेंट, वार्निश, साबुन, डिटर्जेंट और फार्मास्यूटिकल्स समेत कई क्षेत्रों में इसका अहम योगदान है। घरेलू उपयोग के साथ निर्यात में भी प्रमुख हिस्सेदारी है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी मात्रा में रोजगार सृजन से जुड़ा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि पीएलआई से भारतीय कंपनियां सस्ता उत्पाद बनाएंगी तो उसका फायदा उपभोक्ताओं के साथ घरेलू कंपनियों को विदेशी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मिल सकती है।

बढ़ सकता है भारत का दबदबा
भारत विशेष रसायनों और विशिष्ट कृषि रसायनों, रंगों और रंगद्रव्य के निर्यात के लिए जाना जाता है। यह विश्व स्तर पर कृषि रसायन का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है और इसका लगभग 50 फीसदी निर्यात करता है। भारत रंगों का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता और निर्यातक भी है। रासायनिक और पेट्रोकेमिकल उद्योग का भारत के विनिर्माण में लगभग नौ फीसदी हिस्सा है। नवंबर 2021 में प्रकाशित पीडब्लयूसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत कुल रसायन उत्पादन में वैश्विक स्तर पर छठे पर है। यहां रसायनों की 80 हजार से अधिक किस्में बनती हैं।

बड़े निवेश की होगी जरूरत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में शीर्ष 52 रासायनिक उत्पादों की मांग 2.6 करोड़ टन सालाना थी और इसके वर्ष 2040 तक 8.7 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त छह करोड़ टन की अतिरिक्त मांग के लिए लगभग ₹18 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। आंकड़ों के अनुसार रसायन विभाग में करीब छह लाख करोड़ रुपये का निवेश पाइपलाइन में है।

आयात पर खर्च में होगी बचत
घरेलू विनिर्माण में वृद्धि के बावजूद, मांग में लगातार वृद्धि के साथ भारत में रसायन और पेट्रोकेमिकल्स का आयात 2004-05 में ₹1,148 करोड़ से बढ़कर ₹1.08 करोड़ हो गया। वहीं वर्ष 2025 तक इसके तीन लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में पीएलआई योजना आने से केवल घरेलू उद्योग को बढ़ावा नहीं मिलेगा। बल्कि आयात पर होने वाले भारी भरकम खर्च को भी बचाने में मदद मिलेगी।
 

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