फ्रांस में बन रहा बस्तर के महुए से प्रीमियम शराब, कीमत 3719 रुपए
जगदलपुर
बस्तर में महुए की शराब यहां की संस्कृति का हिस्सा है। खुशी का मौका हो या फिर शोक, बस्तर के आदिवासियों के हर कार्यक्रम में महुए की शराब अनिवार्य रूप से परोसी जाती है। अब इसी महुए को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। फ्रांस की एक वाइन कंपनी ने करीब एक साल पहले यहां के महुए पर काम करना शुरू किया और अब माह नाम के ब्रांड के साथ बस्तर के महुए के फूल से बनी शराब लांच कर दी है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब बस्तर के महुए की इंटरनेशनल मार्केटिंग हो रही है। कंपनी ने बकायदा इसी ब्रांड के लिए एक वेबसाइट भी बना दी है जिसके जरिए पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस शराब को आर्डर कर सकता है। इस संबंध में बस्कर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि फ्रांस के तीन लोग मेरे पास आए थे। उन्होंने बस्तर के महुआ की एक खास ब्रांड की शराब बनाई है। उन्होंने बताया कि वे यहां के महुआ से बनी शराब को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसलिए बस्तर में संभावनाएं टटोल रहे है।
फिलहाल यह एक पायलट प्रोजेक्ट है लेकिन बताया जा रहा है कि महुए की शराब का टेस्ट लोगों को पसंद आ रहा है और धीरे-धीरे इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। कंपनी की वेबसाइट पर इसकी कीमत 44 यूरो दिखाई जा रही है जो भारतीय रुपए में 3719 रुपए में उपलब्ध है। कंपनी इसे एक बेहद आकर्षक व्हाइट बॉटल में पैक करके लोगों के बीच लेकर आई है। कंपनी विदेशी है लेकिन इसकी पैकेजिंग में पहली धार जैसे शब्द का उपयोग कर इंडियन कस्टमर को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इसकी टैग लाइन स्प्रिट आफ दी फॉरेस्ट रखी गई है।
कंपनी की टीम बीते एक सप्ताह से बस्तर में है। कंपनी से तीन लोग आए हुए हैं। उनके अनुसार पहली खेप जो वे यहां से लेकर गए थे उससे तो शराब बन चुकी है अब वे महुए की विविधता और उससे सामने आने वाले नतीजे पर काम कर रहे हैं। कंपनी की टीम बस्तर संभाग के गांव-गांव में घूम रही है और महुए के सैंपल ले रही है। सभी सैंपल टीम फ्रांस लेकर जाएगी और वहां पर सभी तरह के जांच और प्रयोग के बाद इस पायलट प्रोजेक्ट को रनिंग प्रोजेक्ट में तब्दील कर दिया जाएगा। बस्तर में जितना महुआ हर साल वनवासी इकट्ठा करते हैं, उसका आधे से ज्यादा उपयोग बस्तर में ही होता है। यहां से महुए के निर्यात की स्थिति अब तक नहीं बनी है। पहली बार ऐसा हो रहा है और माह नामक फ्रांस की कंपनी ने इसकी प्रोसेसिंग की पूरी टेक्निक को बदलकर रख दिया। आदिवासी जिस तरह से शराब बनाते हैं उसके विपरीत कंपनी काम कर रही है। प्रोफेशनल तरीके से शराब तैयार की जा रही है। महुए की लोकल शराब को कंपनी ने प्रीमियम में तब्दील कर दिया है।