असम-मेघालय बॉर्डर पर हिंसा के 6 दिन बाद भी धारा 144, पुलिस को और हमलों का डर
असम
मेघालय और असम की सीमा पर हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में अभी भी अशांति बनी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि अभी भी भारी सुरक्षा तैनात की गई है और असम-मेघालय सीमा से लगे विवादित क्षेत्र में धारा 144 लागू है। पुलिस को आशंका है कि लोगों पर हमले पर हो सकते हैं। यहां बीते मंगलवार को हुई हिंसक झड़पों के बाद छह लोग मारे गए थे। दोनों राज्यों के बीच यात्रा प्रतिबंध रविवार को लगातार छठे दिन भी जारी रहा।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "मेघालय में अभी भी स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण नहीं है। असम से लोगों या वाहनों पर हमले हो सकते हैं। इसलिए, हम लोगों से उस राज्य की यात्रा नहीं करने के लिए कह रहे हैं।" उन्होंने कहा, "अगर किसी को यात्रा करनी ही है तो हमने उन्हें मेघालय में पंजीकृत वाहनों से जाने को कहा है।"
गुवाहाटी और कछार जिले के जोरबाट में पुलिस बैरिकेड्स लगाए गए, जो असम से मेघालय में प्रवेश के दो मुख्य बिंदु हैं। अधिकारी ने कहा कि ट्रकों, सामान और अन्य सामान ले जाने वाले कमर्शियल वाहनों पर हालांकि कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हिंसा स्थल और आसपास के इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध जारी है। गौरतलब है कि पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में दोनों राज्यों के बीच विवादित सीमा के पास मुकरोह गांव में मंगलवार की तड़के हिंसा भड़क गई थी, जब असम के वन रक्षकों द्वारा कथित रूप से अवैध रूप से काटी गई लकड़ियों से लदे एक ट्रक को रोका गया था।
वहीं, बीते शनिवार को मेघालय में विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने सीमा पर हिंसा के विरोध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री के संगमा सहित अन्य लोगों का पुतला जलाया। एक अन्य सामाजिक संस्था हाइनीवट्रेप स्वदेशी प्रादेशिक संगठन ने भी शिलांग में यू सोसो थम ऑडिटोरियम के परिसर में 'रेड फ्लैग डे' मनाया।