चुनावी साल में शहरों में 400 करोड़ के काम कराएंगे MLA
भोपाल
प्रदेश में चुनावी साल में जनवरी 2023 से मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना नगरीय निकायों में फिर शुरू की जाएगी। चौथे चरण में इस योजना के अंतर्गत विधायकों द्वारा दिए गए विकास कार्यों के प्रस्तावों को मंजूरी देकर काम चुनाव से पहले काम पूरा कराया जाएगा। इस चरण में 400 करोड़ रुपए खर्च कर विकास कार्यों को अमली जामा पहनाने की तैयारी है। इसमें पूर्व में फायनेंस के पेंच के चलते अटकी 179 करोड़ रुपए की राशि भी शामिल की जाएगी।
चुनावी साल में विधायक सार्वजनिक कार्यों के लिए विभिन्न विभागों के साथ सीएम सचिवालय को भी आए दिन प्रस्ताव सौंप रहे हैं और उसे मंजूर कराकर जल्द से जल्द काम पूरा कराना चाहते हैं। विधायकों की डिमांड को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना के चौथे चरण से काम कराने को मंजूरी दी है। सीएम के निर्देश के बाद नगरीय विकास और आवास विभाग इस योजना के कामों को लेकर तैयारियों में जुट गया है। बताया जाता है कि इस योजना के तीन चरण अब तक दस सालों में हुए हैं। पहले चरण में 1428 करोड़ के काम मंजूर हुए थे लेकिन वे सभी पूरे नहीं हो सके हैं। दूसरे और तीसरे चरण में भी यही स्थिति बनी थी। तीसरे चरण में तो 179 करोड़ रुपए का लोन भी रोक दिया गया था। अब विधायकों की डिमांड के बाद इसे हरी झंडी मिली है तो वित्त विभाग की आपत्ति भी इससे हट गई है जिसके बाद इस योजना का काम जनवरी से शुरू कराने की तैयारी है ताकि दस माह में काम पूरे कराए जा सकें।
कैसे होना है योजना में काम
इस योजना में प्रदेश के नगरीय निकायो में बुनियादी सुविधाओं का विकास और सुधार किया जाना है। पर्यटन और धार्मिक महत्व के नगरों के अधोसंरचना के विकास पर फोकस करने के साथ इस योजना में सड़क, शहरी यातायात, नगरों को सुंदर बनाने, सामाजिक अधोसंरचना विकसित करने, उद्यान, धरोहर संरक्षण तथा पर्यटन संबंधी नवीन योजनाएं शामिल की जाती हैं। जिन नगरीय निकायों को इस योजना में राशि दी जाएगी, उन्हें समयबद्ध नगरीय सुधार कार्यक्रम पर अमल करना होगा। इस योजना में जो वित्तीय व्यवस्था तय की गई है, उसके मुताबिक राज्य सरकार योजना की लागत का 30 प्रतिशत अनुदान देगी और 70 प्रतिशत राशि निकायों को ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। ऋण राशि और ब्याज की अदायगी 15 से 20 वर्ष की अवधि में शासन द्वारा तथा शेष 25 प्रतिशत राशि निकाय को चुकानी होगी।